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Ancient and Medieval History Hindi Class

विगत कक्षा के अंशों की चर्चा (11:08:26 AM)

महापाषाण काल (11:14:46 AM)

  • दक्षिण भारत तथा दक्कन क्षेत्र में 8 वीं शताब्दी ईपू से महापाषाण संस्कृति दिखाई देती है 
  • वर्तमान समय में उत्तर पूर्व के कुछ कबीलों में भी यह प्रथा प्रचलित है 

संगम काल (11:17:49 AM)

  • 300 ईपू से 300 ईस्वी 
  • संगम काल के बारे में जानकारी के प्रमुख स्रोत लिखित तथा पुरातात्विक हैं 
  • पुरातात्विक स्रोत- दैनिक जीवन के उपभोग की वस्तुओं के साथ साथ नाडुकल/वीरक्कल/नायक पाषाण (हीरो स्टोन) तथा सती पाषाण की बहुतायत में प्राप्ति 
  • लिखित स्रोत- पाण्ड्य शासकों द्वारा संरक्षण प्राप्त तीन संगम संगीतियों में तमिल भाषा में संगम साहित्य की रचना हुई 

संबंधित साहित्य (11:24:44 AM)

  • तोलकापियम- तमिल व्याकरण
  • एट्टूटोगई (8 रचनाओं का संकलन)
    • अहम- प्रेम
    • पुरम- युद्ध और राजनीति
    • इन कविताओं में स्त्रियों को प्रमुखता दी गई है, राजकार्यों में स्त्रियों की भूमिका भी देखने को मिलती है
  • पत्तूपातु (10 रचनाओं का संकलन)
  • पैधनिन कीलकन्नू (18 रचनाओं का संग्रह)
  • तिरुकुरल (नैतिकता पर रचनाएं)
  • सिलपादिकारम 
  • मणिमेगलई/मणिमेखलइ (बौद्ध दर्शन का प्रभाव 
  • जीवक चिंतामणि (जैन दर्शन का प्रभाव )

राजनीतिक जीवन (11:43:00 AM)

  • संगम साहित्य के आधार पर संगम कालीन राजनीतिक जीवन की अत्यंत संक्षिप्त जानकारी मिलती है 
  • संगम काल में तीन प्रमुख राज्य- चेर, चोल तथा पाण्ड्य की चर्चा मिलती है 
  • अशोक के द्वितीय वृहद/दीर्घ शिलालेख में चेरपुत्र तथा केरल पुत्र शब्दों की उपस्थिति है
  • चेर राज्य 
    • प्रमुख स्थल- कारूर/वेंजि 
    • प्रमुख शासक- शेंगुवत्तन  
    • राज चिन्ह- धनुष 
  • चोल राज्य-
    • प्रमुख स्थल- पुहार 
    • प्रमुख शासक- करिकल
    • राज चिन्ह- बाघ 
  • पाण्ड्य राज्य- 
    • प्रमुख शासक- नेंदि चलियान 
    • राजचिन्ह- मछली
  • नोट- मुसीरी, कावेरीपट्टनम, तोंडी, पोमपुहार, एरिकामेडु आदि प्रमुख संगमकालीन बंदरगाह थे 

संगम कालीन प्रशासन (11:51:52 AM)

  • संगम काल में राजतन्त्र प्रचलित था तथा वंशानुगत उत्तराधिकार की प्रणाली थी 
  • अमाईचर (मंत्री)
  • सेनातिपटियर (सेनापति)
  • थूडार- दूत 
  • पुरोहितर- पुरोहित 
  • संगम कालीन साहित्य में प्रांत के लिए मंडलम, शहर के लिए उर, गाँव के लिए पेरुर जैसी प्रशासनिक इकाइयों का वर्णन है 
  • चोल, चेर तथा पांडयो की सेनाएं लगातार युद्ध में संघर्षरत थीं
  • वट्टकिरुताल- युद्ध में हारे हुए राजा द्वारा मृत्यु वरण की प्रक्रिया को दर्शाता है

संगम युगीन अर्थव्यवस्था (12:00:17 PM)

  • कृषि- प्रमुख फसलें- चावल, रागी, दालें इत्यादि 
  • शिल्प- कपड़े की बुनाई, नाव बनाना इत्यादि 
  • व्यापार-
    • रोमन साम्राज्य के साथ लंबी दूरी का व्यापार 
    • निर्यात की प्रमुख वस्तुएं- मोती, मसाले इत्यादि थे 
    • बड़ी संख्या में रोमन सोने के सिक्कों के साथ साथ रोमन साम्राज्य से संबंधित कुछ शवाधानों की भी प्राप्ति 
  • संगम कालीन लोग पशुपालन में भी संलग्न थे तथा पशुओं की रक्षा व अन्य पशुओं की प्राप्ति हेतु स्थानीय स्तर ओर युद्ध भी लड़ा करते थे 

संगम साहित्य में वर्णित भौगोलिक क्षेत्र (12:09:34 PM)

  • कुरिंजी- पहाड़ी क्षेत्र  
  • मुल्लई- वन या चारागाह 
  • मरुदम- कृषि का क्षेत्र 
  • नेइदल- समुद्री तट
  • पल्लई- मरुस्थल 

संगम कालीन समाज एवं संस्कृति (12:13:09 PM)

  • वर्ण व्यवस्था का प्रचलन 
  • अंतनार (ब्राहमण वर्ग) का महत्व 
  • वनीगर (व्यापारी वर्ग) का भी महत्व 
  • कुछ स्त्रियों की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर थी क्योंकि उनके द्वारा कुछ कविताओं की रचना तथा महल के राजकाज में उपस्थिति का वर्णन पुरम कविताओं में मिलता है 
  • सामान्य तौर पर स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं थी 
  • कुछ स्त्रियों के पास आर्थिक अधिकार थे परंतु यह सभी पर लागू नहीं होता था 
  • कृषि कार्यों में स्त्रियों की संलग्ना का वर्णन 
  • सती प्रथा का प्रचलन 
  • विधवाओं की दयनीय स्थिति 

संगम युगीन धर्म (12:21:18 PM)

  • वैदिक यज्ञों/अनुष्ठानों का आयोजन 
  • योद्धा का पूजनीय स्थान (वीर पाषाण)
  • प्रमुख देवता-मुरुगन(कार्तिकेय 
  • आदर्श पत्नी के रूप में कन्नगी की पूजा 
  • बौद्ध धर्म (मणिमेगलइ ) जैन दर्शन (जीवन चिंतामणि) की उपस्थिति  

गुप्त काल (12:25:44 PM)

कला एवं स्थापत्य की चर्चा 

  • सिक्के 
  • मूर्तिकला 
  • चित्रकला 
  • मंदिर निर्माण 
  • पहनावा 
  • स्थापत्य 
  • धातु कर्म एवं प्रौद्योगिकी 

गुप्त साम्राज्य (3 वीं शताब्दी ईस्वी से 6 वीं शताब्दी ईस्वी के पूर्वार्ध तक) (1:04:00 PM)

  • गुप्त वंश का संस्थापक श्री गुप्त था 
  • गुप्त संभवतः कुषाणों के सामंत थे तथा वैश्य वर्ण से संबंधित थे 
  • राजधानी- प्रयाग तथा उज्जैन 

प्रमुख शासक (1:11:45 PM)

चंद्रगुप्त प्रथम 319-20 ई.

  • राज्य की सीमा विस्तार के लिए वैवाहिक संबंधों को प्रधानता 
  • लिच्छवि गणराज्य की राजकुमारी कुमारी देवी से विवाह के पश्चात जारी किये गए सिक्कों पर चन्द्रगुप्त प्रथम के साथ साथ कुमारीदेवी का भी अंकन 

समुद्रगुप्त- 335-375 ईस्वी (1:16:35 PM)

  • समुद्रगुप्त के संदर्भ में जानकारी का प्रमुख स्रोत एरण अभिलेख तथा प्रयाग प्रशस्ति (प्रयागराज) हैं 
  • प्रयाग प्रशस्ति की रचना कवि हरिषेण द्वारा शुद्ध संस्कृत भाषा में की गई 
  • प्रयाग प्रशस्ति अशोक के स्तम्भ के उत्कीर्ण है जिस पर क्रमशः अशोक, समुद्रगुप्त तथा जहांगीर का अभिलेख भी उपस्थित है 
  • प्रयाग प्रशस्ति में वर्णित समुद्रगुप्त की दिग्विजय ने संभवतः कालीदास के रघु की दिग्विजय को प्रभावित किया था 
  • प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त की राजनीतिक तथा सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन है 
  • दिग्विजय के पश्चात उत्तर पश्चिम, मध्य भारत तथा पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों को समुद्रगुप्त ने प्रत्यक्ष शासन के अधीन किया तथा दक्षिण के राजाओं से भेंट प्राप्ति का संबंध रखा 
  • समुद्रगुप्त ने अश्व मेघ यज्ञ किया था

Topic for the next class- गुप्त काल से संबंधित शेष पहलू