परिचय
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA), संयुक्त राष्ट्र का मुख्य विचार-विमर्श, नीति-निर्माण और प्रतिनिधि अंग है, जिसमें सभी 193 सदस्य देश शामिल हैं। सितंबर 2025 में, दुनिया भर के नेता इसके 80वें सत्र के लिए न्यूयॉर्क में एकत्रित हुए हैं, जो गहन भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु संकट और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर धीमी प्रगति की पृष्ठभूमि में हो रहा है। यह सत्र भारत के लिए अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करने और एक अग्रणी वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
वर्तमान संदर्भ
80वें UNGA सत्र की थीम, "एकजुटता के साथ बेहतर: शांति, विकास और मानवाधिकारों के लिए 80 वर्ष और उससे अधिक" (Better together: 80 years and more for peace, development and human rights), वर्तमान वैश्विक चुनौतियों को दर्शाती है। इस सत्र में भारत का उच्च-स्तरीय संबोधन 27 सितंबर को निर्धारित है, जब विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर विश्व मंच पर भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे।
हालांकि मुख्य संबोधन अभी होना बाकी है, भारतीय प्रतिनिधिमंडल सत्र के दौरान अत्यधिक सक्रिय रहा है। विदेश मंत्री ने अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिक्स (BRICS) के विदेश मंत्रियों सहित कई समकक्षों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें की हैं। इन बैठकों में 'ग्लोबल साउथ' की आवाज को मजबूत करने, रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने और आतंकवाद से निपटने जैसे प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के बारे में:
- संरचना: यह संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र अंग है जिसमें सभी सदस्य देशों का समान प्रतिनिधित्व है - प्रत्येक देश का एक वोट।
- कार्य और शक्तियाँ: UNGA के निर्णय, जिन्हें 'संकल्प' (Resolutions) कहा जाता है, नैतिक और राजनीतिक महत्व रखते हैं, लेकिन सदस्य देशों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते हैं। इसके मुख्य कार्यों में बजट पर विचार करना, सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों का चुनाव करना, और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना शामिल है।
- भारत की ऐतिहासिक भूमिका: भारत संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक रहा है। इसने हमेशा संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में प्रमुखता से योगदान दिया है और उपनिवेशवाद एवं रंगभेद के खिलाफ एक मजबूत आवाज रहा है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के एक नेता के रूप में, भारत ने विकासशील देशों के हितों की वकालत की है।
नीतिगत विशेषताएं: भारत की UNGA-80 में प्राथमिकताएं
भारत से उम्मीद है कि वह 80वें UNGA सत्र में अपनी विदेश नीति के प्रमुख स्तंभों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करेगा:
- सुधारित बहुपक्षवाद (Reformed Multilateralism): यह भारत के एजेंडे में सबसे ऊपर रहने की उम्मीद है। भारत का तर्क है कि UNSC में तत्काल सुधार किया जाना चाहिए ताकि यह अधिक प्रतिनिधि, प्रभावी और लोकतांत्रिक बन सके। भारत, G4 देशों (भारत, ब्राजील, जर्मनी, जापान) के साथ मिलकर, स्थायी सदस्यता के लिए अपनी दावेदारी को मजबूती से पेश कर रहा है।
- आतंकवाद का मुकाबला (Counter-Terrorism): भारत द्वारा 'अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन' (Comprehensive Convention on International Terrorism - CCIT) को जल्द से जल्द अपनाने का आह्वान किए जाने की प्रबल संभावना है।
- जलवायु न्याय (Climate Justice): भारत द्वारा विकसित देशों को जलवायु वित्त (Climate Finance) और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अपने वादों को पूरा करने की याद दिलाए जाने की उम्मीद है। भारत 'सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों' (Common But Differentiated Responsibilities - CBDR) के सिद्धांत पर जोर दे सकता है।
- ग्लोबल साउथ का नेतृत्व: अपनी सफल G20 अध्यक्षता की नींव पर, भारत खुद को 'ग्लोबल साउथ' (विकासशील और अल्प विकसित देशों) की एक विश्वसनीय आवाज के रूप में स्थापित कर रहा है, जो ऋण संकट, डिजिटल डिवाइड और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों को उठा रहा है।
भारत के लिए अवसर एवं चुनौतियाँ
अवसर (Opportunities):
- बढ़ता वैश्विक कद: भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक प्रभाव UNGA में उसकी आवाज को अधिक वजन देते हैं।
- सर्वसम्मति-निर्माता की छवि: G20 की सफल अध्यक्षता ने एक ऐसे देश के रूप में भारत की छवि को मजबूत किया है जो विभाजित दुनिया में आम सहमति बना सकता है।
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI): भारत का DPI मॉडल (आधार, UPI, CoWIN) विकासशील देशों के लिए एक सफल और कम लागत वाला समाधान प्रदान करता है, जिससे 'ग्लोबल साउथ' में भारत का नेतृत्व मजबूत होता है।
चुनौतियाँ (Challenges):
- भू-राजनीतिक ध्रुवीकरण: रूस-यूक्रेन संघर्ष और अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के बीच संतुलन बनाना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती है।
- UNSC सुधारों पर प्रतिरोध: सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य (P5) सुधारों के प्रति अनिच्छुक हैं। इसके अतिरिक्त, 'यूनाइटिंग फॉर कंसेंसस' (कॉफी क्लब) समूह, जिसमें पाकिस्तान और इटली जैसे देश शामिल हैं, G4 के स्थायी सदस्यता के दावे का विरोध करता है।
- विकास और जलवायु के बीच संतुलन: अपनी विशाल आबादी की ऊर्जा और विकास आवश्यकताओं को पूरा करते हुए महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करना एक निरंतर चुनौती है।
India's Key Priorities at UNGA
प्राथमिकता (Priority) | भारत का पक्ष (India's Stance) | तर्क (Rationale) |
UNSC सुधार | स्थायी सदस्यता | समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को दर्शाने के लिए। |
आतंकवाद का मुकाबला | CCIT को अपनाना; आतंकवादियों में कोई भेद नहीं। | आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है जिसके लिए एकजुट प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। |
जलवायु कार्रवाई | जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, CBDR सिद्धांत। | विकसित देशों की ऐतिहासिक जिम्मेदारी और क्षमता। |
'ग्लोबल साउथ' का नेतृत्व | डिजिटल सहयोग, खाद्य-ऊर्जा सुरक्षा, ऋण राहत। | साझा विकासात्मक चुनौतियाँ और आकांक्षाएँ। |
Practice Questions
1. Prelims MCQ:
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- इसके द्वारा पारित सभी संकल्प सदस्य देशों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं।
- इसमें प्रत्येक सदस्य देश को एक वोट का अधिकार प्राप्त है।
- यह सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों का चुनाव करती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
2. Mains Question:
"सुधारित बहुपक्षवाद (Reformed Multilateralism) भारत की विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए भारत के प्रयासों के सामने आने वाली प्रमुख बाधाओं का विश्लेषण करें और इन बाधाओं को दूर करने के लिए एक रणनीति सुझाएँ।" (15 अंक, 250 शब्द)
उत्तर की रूपरेखा:
- सुधारित बहुपक्षवाद को परिभाषित कर उत्तर की शुरुआत कीजिए।
- UNSC में सुधारों की आवश्यकता के साथ भारत द्वारा किए गए प्रयासों को समझाइए।
- इन सुधारों के समक्ष या रही बाधाओं को लिखिए।
- बाधाओं को दूर करने के लिए सुझावों के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।
Conclusion
80वां UNGA सत्र भारत के लिए अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों को निभाने और अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। जबकि UNSC सुधार जैसी राहें चुनौतियों से भरी हैं, भारत का 'वसुधैव कुटुम्बकम्' (विश्व एक परिवार है) का दर्शन और 'ग्लोबल साउथ' के हितों की वकालत उसे विश्व मंच पर एक रचनात्मक, विश्वसनीय और अनिवार्य भागीदार के रूप में स्थापित करती है।