परिचय
भारत छोड़ो आंदोलन, जिसे 'अगस्त क्रांति' भी कहा जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अंतिम और सबसे निर्णायक जन संघर्ष का प्रतीक है। 9 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी के स्पष्ट आह्वान पर शुरू हुआ यह आंदोलन, स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए राष्ट्र की सामूहिक इच्छाशक्ति की एक शक्तिशाली अभिव्यक्ति था। इसकी 83वीं वर्षगांठ पर, इस ऐतिहासिक क्षण का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है, जिसे गांधीजी के शक्तिशाली नारे "करो या मरो" के लिए याद किया जाता है, जिसने लाखों भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया।
वर्तमान संदर्भ
प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को, भारत इस आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों का सम्मान करने के लिए "अगस्त क्रांति दिवस" मनाता है। यह वर्षगांठ जन-भागीदारी की अपार शक्ति और अपने भाग्य का निर्धारण करने के लिए एक राष्ट्र की अटूट भावना की याद दिलाती है। यह हमें संप्रभुता, आत्मनिर्भरता और नागरिक-नेतृत्व वाली कार्रवाई के उन मूल्यों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है जिन्होंने इस आंदोलन को संचालित किया और जो आज भी प्रासंगिक हैं।
आंदोलन का विश्लेषण
पृष्ठभूमि और कारण:
यह आंदोलन कोई अचानक हुई घटना नहीं थी, बल्कि ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ बढ़ते असंतोष का परिणाम था।
- Cripps Mission की विफलता (मार्च 1942): ब्रिटिश सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध में सहयोग प्राप्त करने के लिए सर स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स को भारत भेजा। हालांकि, युद्ध के बाद पूर्ण स्वतंत्रता के बजाय 'Dominion Status' की पेशकश को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने "एक असफल बैंक पर पोस्ट-डेटेड चेक" कहकर अस्वीकार कर दिया।
- World War II की कठिनाइयाँ: युद्ध के कारण गंभीर मुद्रास्फीति, आवश्यक वस्तुओं की कमी और भारतीय जनता के बीच व्यापक असंतोष उत्पन्न हुआ, जिससे ब्रिटिश विरोधी भावनाएं भड़क उठीं।
- जापानी आक्रमण का खतरा: भारत की उत्तर-पूर्वी सीमाओं की ओर जापानी सेना की बढ़त ने एक तात्कालिकता की भावना पैदा की। भारतीय नेताओं का मानना था कि राष्ट्र की अधिक प्रभावी रक्षा के लिए अंग्रेजों को भारत छोड़ना आवश्यक था।
आंदोलन का शुभारंभ:
8 अगस्त, 1942 को, All-India Congress Committee (AICC) ने बॉम्बे (अब मुंबई) के ग्वालिया टैंक मैदान में बैठक की और ऐतिहासिक 'Quit India Resolution' (भारत छोड़ो प्रस्ताव) पारित किया। अपने संबोधन में, महात्मा गांधी ने लोगों से एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिकों के रूप में कार्य करने का आग्रह किया और "करो या मरो" का नारा दिया, जो एक अंतिम, निर्णायक संघर्ष की शुरुआत का संकेत था।
हालांकि, अंग्रेजों ने तेजी से जवाबी कार्रवाई की। 9 अगस्त, 1942 की सुबह-सुबह, महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू तथा सरदार वल्लभभाई पटेल सहित कांग्रेस के पूरे शीर्ष नेतृत्व को गिरफ्तार कर लिया गया। इसने आंदोलन को नेतृत्वहीन कर दिया, लेकिन समाप्त होने के बजाय, इसने एक स्वतःस्फूर्त और विकेंद्रीकृत स्वरूप धारण कर लिया।
आंदोलन की मुख्य विशेषताएं
भारत छोड़ो आंदोलन अपनी व्यापक और बहुआयामी प्रकृति के लिए जाना जाता था।
- एक नेतृत्वहीन विद्रोह: मुख्य नेताओं के जेल में होने के कारण, आंदोलन कनिष्ठ नेताओं और आम जनता द्वारा संचालित किया गया। अरुणा आसफ अली जैसी शख्सियतें, जिन्होंने गिरफ्तारियों के बाद ग्वालिया टैंक मैदान में तिरंगा फहराया, साहस का प्रतीक बन गईं।
- भूमिगत गतिविधियाँ: जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया और उषा मेहता सहित भूमिगत नेताओं का एक नेटवर्क उभरा। उषा मेहता ने सूचना प्रसारित करने और विद्रोह की भावना को जीवित रखने के लिए एक गुप्त रेडियो स्टेशन का संचालन किया, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ।
- समानांतर सरकारें (Jatiya Sarkar): देश के कई हिस्सों में, ब्रिटिश सत्ता समाप्त हो गई और समानांतर सरकारें स्थापित की गईं। इसके सबसे प्रमुख उदाहरण बलिया (उत्तर प्रदेश), तामलुक (बंगाल), और सतारा (महाराष्ट्र) में थे।
- व्यापक भागीदारी: इस आंदोलन में छात्रों, किसानों, श्रमिकों और महिलाओं ने वर्ग और समुदाय से ऊपर उठकर उत्साहपूर्वक भाग लिया।
ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया
वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो के अधीन ब्रिटिश प्रशासन ने विद्रोह को कुचलने के लिए अभूतपूर्व बल के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की। पूरे देश को एक पुलिस राज्य में बदल दिया गया। प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई और नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया। सामूहिक गिरफ्तारियां, सार्वजनिक कोड़े मारना और पुलिस फायरिंग आम हो गई, जिससे हजारों लोग हताहत हुए।
विश्लेषण: प्रभाव और चुनौतियाँ
सकारात्मक प्रभाव:
- स्वतंत्रता के लिए अटूट इच्छाशक्ति: इस आंदोलन ने राष्ट्रवादी भावना की गहराई और किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारतीय लोगों के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया।
- ब्रिटिश वैधता का अंत: ब्रिटिश सरकार के लिए यह स्पष्ट हो गया कि भारत में उनका शासन अब टिकाऊ नहीं था और इसे केवल बल द्वारा ही बनाए रखा जा सकता था।
- राष्ट्रीय पहचान को मजबूती: संघर्ष के साझा अनुभव ने भारतीयों के बीच एकता और राष्ट्रीय चेतना की एक मजबूत भावना को बढ़ावा दिया।
- स्वतंत्रता की नींव: यद्यपि 1944 तक आंदोलन को दबा दिया गया था, इसने उन अंतिम वार्ताओं के लिए मंच तैयार किया जिसके कारण 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:
- अन्य समूहों से समर्थन का अभाव: मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों ने आंदोलन का समर्थन नहीं किया, जिसने इसके एकीकृत प्रभाव को सीमित कर दिया।
- अत्यधिक दमन: क्रूर राज्य दमन ने दो वर्षों के भीतर आंदोलन की संरचना और गति को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया।
UPSC Lens
यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- Prelims Relevance: अगस्त क्रांति दिवस की तारीख, मुख्य नारे, समानांतर सरकारों के स्थान, और संबंधित व्यक्तित्व (उषा मेहता, अरुणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण आदि) जैसे तथ्यात्मक विवरण अक्सर पूछे जाते हैं।
- Mains Relevance (GS Paper 1): यह विषय सीधे "स्वतंत्रता संग्राम इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।" के अंतर्गत आता है। आंदोलन की प्रकृति (क्या यह स्वतःस्फूर्त था?), इसके महत्व और अन्य गांधीवादी आंदोलनों के साथ इसकी तुलना पर विश्लेषणात्मक प्रश्न आम हैं।
- Essay Use: राष्ट्रवाद, जन-भागीदारी, नेतृत्वहीन आंदोलन और साधारण नागरिकों की भूमिका जैसे विषय निबंधों के लिए समृद्ध सामग्री प्रदान करते हैं।
Quick Revision table
पहलू | विवरण |
अन्य नाम | अगस्त क्रांति (August Revolution) |
आधिकारिक प्रारंभ तिथि | 9 अगस्त, 1942 |
मुख्य नारा | "करो या मरो" (महात्मा गांधी द्वारा) |
प्रस्ताव स्थल | ग्वालिया टैंक मैदान, बॉम्बे |
मुख्य विशेषताएं | नेतृत्वहीन विद्रोह, भूमिगत रेडियो, समानांतर सरकारें, जन भागीदारी |
प्रमुख व्यक्तित्व | महात्मा गांधी, अरुणा आसफ अली, उषा मेहता, जयप्रकाश नारायण |
ब्रिटिश वायसराय | लॉर्ड लिनलिथगो |
अभ्यास प्रश्न
Prelims MCQ:
निम्नलिखित में से कौन सी नेता भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भूमिगत रेडियो चलाने के लिए प्रसिद्ध हैं?
(a) सरोजिनी नायडू
(b) अरुणा आसफ अली
(c) उषा मेहता
(d) कस्तूरबा गांधी
उत्तर: (c) उषा मेहता
Prelims PYQs (2021)
Q. भारतीय इतिहास में 8 अगस्त, 1942 के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) भारत छोड़ो प्रस्ताव AICC द्वारा अपनाया गया था।
(b) अधिक भारतीयों को शामिल करने के लिए वायसराय की कार्यकारी परिषद का विस्तार किया गया था।
(c) सात प्रांतों में कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने त्यागपत्र दे दिया था।
(d) द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद क्रिप्स ने पूर्ण डोमिनियन स्टेटस के साथ एक भारतीय संघ का प्रस्ताव रखा था।
उत्तर: A
Mains वर्णनात्मक प्रश्न:
Mains PYQs
Q. वे कौन-सी घटनाएँ थीं जिनके कारण भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ? इसके परिणामों को स्पष्ट कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) (2024)
What were the events that led to the Quit India Movement? Point out its results. (Answer in 150 words) 10
Q. "भारत छोड़ो आंदोलन एक स्वतःस्फूर्त क्रांति थी, जिसने अंग्रेजों को तुरंत बाहर निकालने में अपनी स्पष्ट विफलता के बावजूद, भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के भाग्य पर अंतिम मुहर लगा दी।" समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द, 15 अंक)
उत्तर की रूपरेखा:
- भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि बताकर उत्तर की शुरुआत कीजिए।
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान हुई प्रमुख घटनाओं का उल्लेख कर आंदोलन की स्वतःस्फूर्तता को समझाइए।
- आंदोलन की विफलता को बताइए।
- आंदोलन के प्रभावों एउ उसके बाद की घटनाओं को बताइए।
- अंत में, आंदोलन के महत्व को बताकर उत्तर समाप्त कीजिए।
निष्कर्ष
भारत छोड़ो आंदोलन स्वतंत्रता के लिए भारत की इच्छा की अंतिम अभिव्यक्ति थी। यद्यपि इसे क्रूरतापूर्वक दबा दिया गया और इसने अपने तात्कालिक उद्देश्य को प्राप्त नहीं किया, इसका दीर्घकालिक प्रभाव गहरा था। इसने ब्रिटिश स्थायित्व के भ्रम को चकनाचूर कर दिया, कार्यकर्ताओं की एक नई पीढ़ी को ऊर्जावान किया और भारत की स्वतंत्रता को एक अनिवार्यता बना दिया। 'अगस्त क्रांति' की भावना एक शक्तिशाली विरासत बनी हुई है, जो हमें याद दिलाती है कि एक राष्ट्र की यात्रा में लोगों की सामूहिक इच्छा एक अजेय शक्ति है।
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