परिचय
किसी भी देश की आर्थिक सेहत का आकलन करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) एक महत्वपूर्ण पैमाना है। यह देश की आर्थिक गतिविधियों का एक समग्र चित्र प्रस्तुत करता है। हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किए गए नवीनतम आँकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर जब वैश्विक अर्थव्यवस्था कई अनिश्चितताओं का सामना कर रही है।
वर्तमान संदर्भ
31 अगस्त, 2025 को, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) के लिए GDP के आँकड़े जारी किए। इन आँकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने 7.8% की मजबूत वृद्धि दर दर्ज की है। वहीं, सकल मूल्य वर्धित (GVA) में 7.5% की वृद्धि देखी गई है।
यह वृद्धि दर पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) की तुलना में एक सकारात्मक उछाल को दर्शाती है और यह इंगित करती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत आंतरिक गति बनी हुई है। इस वृद्धि के मुख्य चालकों में सेवा क्षेत्र का दमदार प्रदर्शन और सरकारी पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में निरंतरता शामिल है।
Background
Q. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) क्या है?
Ans. GDP का अर्थ एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक वर्ष या एक तिमाही) के दौरान किसी देश की आर्थिक सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य है। यह अर्थव्यवस्था के आकार और विकास दर को मापने का सबसे प्रचलित संकेतक है।
Q. सकल मूल्य वर्धित (GVA) क्या है?
Ans. GVA अर्थव्यवस्था के किसी क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा को मापता है। यह राष्ट्रीय आय का एक अधिक सटीक चित्र प्रस्तुत करता है क्योंकि यह उत्पादन प्रक्रिया में सब्सिडी और करों के प्रभाव को समायोजित करता है। इसका सूत्र है:
GVA=GDP+उत्पादों पर सब्सिडी−उत्पादों पर कर
Q. भारत में GDP की गणना किसके द्वारा होती है?
Ans. भारत में GDP की गणना सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा की जाती है। GDP की गणना के लिए वर्तमान आधार वर्ष 2011-12 है।
प्रमुख नीतिगत विशेषताएँ
भारतीय अर्थव्यवस्था की इस वृद्धि को गति देने में कई नीतिगत पहलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
- पूंजीगत व्यय पर जोर: सरकार ने राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline) जैसी योजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर अपना खर्च लगातार बढ़ाया है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिला है।
- उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना: इस योजना ने विनिर्माण क्षेत्र को गति दी है और घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद की है।
- RBI की मौद्रिक नीति: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन साधते हुए रेपो रेट (Repo Rate) को स्थिर रखने जैसे कदम उठाए हैं।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: सरकार और RBI ने आपूर्ति-पक्ष की बाधाओं को दूर कर और रणनीतिक हस्तक्षेपों के माध्यम से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के प्रयास किए हैं।
विश्लेषण: सकारात्मक पहलू और चुनौतियाँ
सकारात्मक पहलू (Positives):
- मजबूत घरेलू माँग: शहरी क्षेत्रों में खपत में वृद्धि और त्योहारों के मौसम की उम्मीदों ने घरेलू माँग को मजबूत बनाए रखा है।
- सेवा क्षेत्र का उत्कृष्ट प्रदर्शन: व्यापार, होटल, परिवहन और वित्तीय सेवाएँ जैसे संपर्क-गहन (contact-intensive) सेवा क्षेत्र विकास के प्रमुख चालक बने हुए हैं।
- निवेश में सुधार: सरकार के पूंजीगत व्यय (Capex) के साथ-साथ निजी क्षेत्र के निवेश में भी धीरे-धीरे सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
- वैश्विक मंच पर भारत: भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक "Bright Spot" के रूप में देखा जा रहा है, जो विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक अवसर प्रदान करता है।
चुनौतियाँ (Challenges):
- कृषि क्षेत्र पर दबाव: मानसून के असमान वितरण ने कृषि क्षेत्र की वृद्धि को प्रभावित किया है, जिसका असर ग्रामीण माँग पर पड़ सकता है।
- वैश्विक मंदी का प्रभाव: प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी और भू-राजनीतिक तनावों के कारण भारत के निर्यात पर दबाव बना हुआ है।
- मुद्रास्फीति का जोखिम: खाद्य और ईंधन की कीमतों में अस्थिरता के कारण मुद्रास्फीति (Inflation) के फिर से बढ़ने का खतरा बना हुआ है।
- ग्रामीण माँग में धीमी रिकवरी: ग्रामीण क्षेत्रों में माँग अभी भी पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौटी है, जो समग्र विकास के लिए एक चुनौती है।
UPSC Relevance
- Prelims Relevance: GDP, GVA, NNP, आधार वर्ष, GDP गणना के तरीके (उत्पादन, आय और व्यय विधि), NSO, MoSPI, रेपो रेट, CPI।
- Mains Relevance:
- GS Paper 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय। समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।
- Essay Use: "विकसित भारत @ 2047", "भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएँ और चुनौतियाँ", और "जनसांख्यिकीय लाभांश" जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए इन आँकड़ों और विश्लेषणों का उपयोग किया जा सकता है।
Quick Facts Table
संकेतक (Indicator) | आँकड़ा (Data) (Q1 FY26) | मुख्य बिंदु (Key Point) |
GDP वृद्धि दर | 7.8% (अनुमानित) | मजबूत घरेलू मांग और सेवा क्षेत्र द्वारा संचालित। |
GVA वृद्धि दर | 7.5% (अनुमानित) | अर्थव्यवस्था में उत्पादन गतिविधि की मजबूती को दर्शाता है। |
कृषि क्षेत्र वृद्धि | 2.9% (अनुमानित) | मानसून की अनियमितता के कारण धीमी वृद्धि। |
विनिर्माण क्षेत्र वृद्धि | 8.2% (अनुमानित) | PLI योजना और बेहतर निवेश के कारण मजबूत वापसी। |
सेवा क्षेत्र वृद्धि | 9.8% (अनुमानित) | अर्थव्यवस्था का मुख्य विकास इंजन बना हुआ है। |
अभ्यास प्रश्न
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
Q. किसी देश की, कर से GDP के अनुपात में कमी क्या सूचित करती है? (UPSC 2015)
1. आर्थिक वृद्धि दर धीमी होना
2. राष्ट्रीय आय का कम साम्यिक (इक्विटेबल) वितरण
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तरः (a)
Q. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना के संदर्भ में, 'आधार वर्ष' (Base Year) का क्या अर्थ है?
(a) वह वर्ष जिसमें मुद्रास्फीति शून्य थी।
(b) वह वर्ष जिसका उपयोग वास्तविक GDP की गणना के लिए स्थिर कीमतों के संदर्भ बिंदु के रूप में किया जाता है।
(c) वह वर्ष जब सरकार अपनी नई पंचवर्षीय योजना शुरू करती है।
(d) वह वर्ष जिसमें देश का निर्यात उसके आयात से अधिक था।
उत्तर: (b)
मुख्य परीक्षा (Mains) प्रश्न:
Q. संभाव्य स० घ० उ० (जी० डी० पी०) को परिभाषित कीजिए तथा उसके निर्धारकों की व्याख्या कीजिए। वे कौन-से कारक हैं, जो भारत को अपने संभाव्य स० घ० उ० (जी० डी० पी०) को साकार करने से रोकते रहे हैं? (उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) (UPSC 2020)
प्रश्न: "भारत के हालिया GDP आँकड़े एक लचीली अर्थव्यवस्था का संकेत देते हैं, लेकिन कई अंतर्निहित चुनौतियाँ इसकी दीर्घकालिक विकास यात्रा में बाधा डाल सकती हैं।" भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने प्रमुख चालकों और लगातार बनी हुई चुनौतियों का समालोचनात्मक विश्लेषण करें। (250 शब्द)
उत्तर की रूपरेखा:
- भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति (आंकड़ों की सहायता से) का उल्लेख कर उत्तर शुरू कीजिए।
- भारत की अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालकों को समझाइए।
- अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
- इन चुनौतियों से निपटने के लिए सुझावों के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।
निष्कर्ष
वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के GDP आँकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बुनियादी सिद्धांतों पर खड़ी है और विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद लचीलापन प्रदर्शित कर रही है। सेवा क्षेत्र और सरकारी व्यय इसके प्रमुख स्तंभ बने हुए हैं। हालाँकि, सतत और समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ग्रामीण माँग को पुनर्जीवित करने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और निर्यात को बढ़ावा देने जैसी संरचनात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर नीतिगत ध्यान देने की आवश्यकता है।