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भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): एक भू-रणनीतिक बदलाव ?

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भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): एक भू-रणनीतिक बदलाव ?

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): एक भू-रणनीतिक बदलाव ?
20 Aug 2025
Table of Contents

परिचय (Introduction)

वैश्विक मंच पर, कनेक्टिविटी केवल भौतिक अवसंरचना का निर्माण नहीं है, बल्कि यह प्रभाव, व्यापार और रणनीति का एक शक्तिशाली उपकरण है। इसी संदर्भ में, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (India-Middle East-Europe Economic Corridor - IMEC) एक महत्वाकांक्षी बहु-राष्ट्रीय पहल के रूप में उभरा है। यह परियोजना न केवल तीन महाद्वीपों को जोड़ने का वादा करती है, बल्कि 21वीं सदी के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने की क्षमता भी रखती है, जिसे अक्सर चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के एक रणनीतिक विकल्प के रूप में देखा जाता है।

वर्तमान संदर्भ (Current Context)

IMEC की घोषणा सितंबर 2023 में भारत की अध्यक्षता में हुए G20 शिखर सम्मेलन, नई दिल्ली के दौरान की गई थी। इस ऐतिहासिक परियोजना के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूरोपीय संघ, इटली, फ्रांस और जर्मनी द्वारा हस्ताक्षर किए गए। यह गलियारा भारत को मध्य पूर्व के माध्यम से यूरोप से जोड़ने के लिए रेलवे और समुद्री मार्गों का एक एकीकृत नेटवर्क स्थापित करने का प्रस्ताव करता है, जिससे व्यापार की गति तेज होगी और लागत कम होगी।

Background 

आर्थिक गलियारों की अवधारणा नई नहीं है; यह प्राचीन सिल्क रोड और स्पाइस रूट से प्रेरित है, जिन्होंने सदियों तक सभ्यताओं और अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ा। आधुनिक युग में, IMEC जैसी परियोजनाएं कनेक्टिविटी की भू-राजनीति (Geopolitics of Connectivity) को दर्शाती हैं। यह गलियारा पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII) का एक हिस्सा है, जो G7 देशों द्वारा विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए शुरू की गई एक पहल है। इसका उद्देश्य चीन के Belt and Road Initiative (BRI) के जवाब में एक पारदर्शी, टिकाऊ और मूल्य-संचालित विकल्प प्रदान करना है, जिसने कई देशों को ऋण के जाल और रणनीतिक निर्भरता की चिंताओं में उलझा दिया है।

नीति की मुख्य विशेषताएँ (Key Policy Highlights)

IMEC परियोजना में दो अलग-अलग गलियारे शामिल हैं:

  1. पूर्वी गलियारा (East Corridor): यह भारत को फारस की खाड़ी से जोड़ेगा। इसमें भारत के पश्चिमी तट (जैसे मुंबई, मुंद्रा बंदरगाह) से UAE (जैसे जेबेल अली बंदरगाह) तक समुद्री मार्ग शामिल होंगे।
  2. उत्तरी गलियारा (Northern Corridor): यह फारस की खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा। इसमें UAE, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल के माध्यम से एक कुशल रेल नेटवर्क स्थापित करना शामिल है, जो हाइफ़ा (इज़राइल) जैसे बंदरगाहों को यूरोप के प्रमुख बंदरगाहों (जैसे पीरियस, ग्रीस) से जोड़ेगा।

मुख्य घटक (Key Components):

  • मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी: रेलवे और शिपिंग लाइनों का एक एकीकृत नेटवर्क।
  • डिजिटल और ऊर्जा अवसंरचना: डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए अंडर-सी केबल और ऊर्जा सुरक्षा के लिए स्वच्छ हाइड्रोजन के परिवहन हेतु पाइपलाइन बिछाने की योजना है।
  • वर्चुअल ट्रेड कॉरीडोर: इसका उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं और समय में कमी, लॉजिस्टिक और परिवहन लागत में कमी, तथा व्यापार को आसान बनाना है।
  • आर्थिक एकीकरण: गलियारे के किनारे विशेष आर्थिक क्षेत्र, लॉजिस्टिक्स हब और औद्योगिक पार्कों के विकास को बढ़ावा देना।

विश्लेषण (Analysis)

IMEC भारत के लिए अपार अवसर प्रस्तुत करता है, लेकिन इसे साकार करने की राह में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी हैं।

भारत के लिए अवसर और सकारात्मक प्रभाव (Opportunities and Positive Impacts for India):

  1. रणनीतिक लाभ: यह मध्य पूर्व और यूरोप में भारत के रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाएगा, जिससे भारत एक प्रमुख पारगमन (transit) और विनिर्माण केंद्र बन सकेगा।
  2. आर्थिक प्रोत्साहन: यह यूरोप और मध्य पूर्व के लिए एक तेज और सस्ता व्यापार मार्ग प्रदान करेगा, जिससे भारतीय निर्यात (विशेष रूप से MSME क्षेत्र से) को बढ़ावा मिलेगा। अनुमान है कि यह भारत-यूरोप व्यापार में लगने वाले समय को 40% तक कम कर सकता है।
  3. चीन को रणनीतिक संतुलन: यह चीन के BRI का एक व्यवहार्य और लोकतांत्रिक विकल्प प्रस्तुत करता है, जिससे दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होती है।
  4. ऊर्जा सुरक्षा: स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइन की योजना भारत की नवीकरणीय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं का समर्थन कर सकती है।

चुनौतियाँ और बाधाएँ (Challenges and Hurdles):

  1. भू-राजनीतिक अस्थिरता: यह गलियारा दुनिया के सबसे अस्थिर क्षेत्रों में से एक- मध्य पूर्व; से होकर गुजरता है। इज़राइल-हमास संघर्ष जैसी हालिया घटनाओं ने इस परियोजना की व्यवहार्यता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
  2. वित्तपोषण: इस विशाल परियोजना के लिए आवश्यक अरबों डॉलर का वित्तपोषण जुटाना और विभिन्न देशों के बीच इसका समन्वय करना एक बड़ी चुनौती होगी।
  3. बुनियादी ढाँचे का अभाव: सदस्य देशों में मौजूदा बंदरगाहों, रेलवे और सड़कों को अपग्रेड करने और 'मिसिंग लिंक्स' को बनाने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी।
  4. अंतर-सरकारी समन्वय: आठ अलग-अलग संप्रभु देशों और यूरोपीय संघ के बीच निर्बाध सीमा शुल्क, टैरिफ और नियामक सामंजस्य स्थापित करना एक जटिल राजनयिक कार्य है।

(UPSC Lens)

  • Prelims Relevance:
    • IMEC के हस्ताक्षरकर्ता देश।
    • प्रमुख बंदरगाह (मुंद्रा, जेबेल अली, हाइफ़ा, पीरियस) और भौगोलिक स्थान।
    • G20 और PGII पहल का संदर्भ।
    • पूर्वी और उत्तरी गलियारों का मार्ग।
  • Mains Relevance:
    • GS Paper II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): भारत और उसके पड़ोस-संबंध; द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार; भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
  • Essay Use:
    • कनेक्टिविटी की बदलती भू-राजनीति और भारत की भूमिका। (The Changing Geopolitics of Connectivity and India's Role.)
    • अवसंरचना: 21वीं सदी में कूटनीति का नया उपकरण। (Infrastructure: The New Tool of Diplomacy in the 21st Century.)
IMEC

(Add Heading BRI)

(Comparative Table): IMEC vs. BRI

आधार (Basis)

IMEC

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)

नेतृत्व (Leadership)

सामूहिक, अमेरिका और भारत द्वारा समर्थित

चीन-केंद्रित (China-centric)

प्रकृति (Nature)

सहयोगी और परामर्श-आधारित

एकतरफा और चीन द्वारा संचालित

पारदर्शिता (Transparency)

नियमों पर आधारित और पारदर्शी होने का दावा

अपारदर्शी अनुबंध और वित्तपोषण

वित्तपोषण (Financing)

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और बहुपक्षीय बैंक

चीन के सरकारी बैंकों द्वारा ऋण-आधारित

रणनीतिक लक्ष्य (Strategic Goal)

आर्थिक एकीकरण और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना

चीन का भू-राजनीतिक प्रभाव और बाजार पहुँच बढ़ाना

अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)

Prelims MCQ: 

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-कौन से देश इसके संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता हैं?

  1. भारत
  2. चीन
  3. सऊदी अरब
  4. रूस
  5. संयुक्त राज्य अमेरिका

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए: 

  1. केवल 1, 2 और 5 
  2. केवल 1, 3 और 5 
  3. केवल 2, 3 और 4 
  4. केवल 1, 4 और 5

उत्तर: (b) केवल 1, 3 और 5

Mains Question: 

"भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) केवल एक आर्थिक परियोजना नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक पहल है।" इस कथन के आलोक में, भारत के लिए इसके महत्व और कार्यान्वयन में आने वाली प्रमुख चुनौतियों का मूल्यांकन करें। (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर की रूपरेखा:

  • IMEC परियोजना का परिचय देकर उत्तर की शुरुआत कीजिए। 
  • इस परियोजना से होने वाले लाभों को संक्षेप में बताइए। 
  • भारत के लिए इसके महत्व को बताइए। 
  • इसके कार्यान्वयन में आने वाले चुनौतियों को समझाइए। 
  • अंत में, आगे की राह के साथ समधानात्मक निष्कर्ष दीजिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

IMEC निस्संदेह एक दूरदर्शी परियोजना है जो वैश्विक व्यापार और कनेक्टिविटी के नियमों को फिर से लिखने की क्षमता रखती है। यह भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। हालाँकि, मध्य पूर्व की जटिल भू-राजनीति और विशाल वित्तीय आवश्यकताएँ गंभीर बाधाएँ हैं। इस परियोजना की सफलता सदस्य देशों के बीच अटूट राजनीतिक इच्छाशक्ति, निरंतर सहयोग और प्रभावी कार्यान्वयन पर निर्भर करेगी। यदि सफल रहा, तो IMEC वास्तव में 21वीं सदी का एक नया 'स्पाइस रूट' बन सकता है।

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