भारत और जापान के बीच की मित्रता सदियों पुरानी है, जिसकी नींव बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ रखी गई थी। आधुनिक युग में, यह संबंध केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह एक "विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी" में बदल गया है। आज जब विश्व कई भू-राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब दो प्रमुख एशियाई लोकतंत्रों - भारत और जापान - का एक साथ आना स्थिरता, समृद्धि और शांति के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है। इस ब्लॉग में, हम इस साझेदारी के विभिन्न आयामों, इसके विकास और UPSC परीक्षा के लिए इसकी प्रासंगिकता का विश्लेषण करेंगे।
वर्तमान संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया जापान यात्रा (29-30 अगस्त, 2025) ने भारत और जापान के बीच संबंधों को एक नई गति दी है। जापान के नए प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ उनकी यह पहली वार्षिक शिखर बैठक थी। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच 2014 में स्थापित 'विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी' को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। इस यात्रा के दौरान, दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा करेंगे और विशेष रूप से आर्थिक सुरक्षा, सेमीकंडक्टर, एआई, और स्वच्छ ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर फोकस रहेगा।
भारत-जापान संबंधों का विकास
यह विकास कई चरणों में हुआ है:
- सांस्कृतिक संबंध: बौद्ध धर्म के प्रसार के माध्यम से छठी शताब्दी से ही दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक संबंध रहे हैं।
- ऐतिहासिक संबंध: द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की सहायता की और स्वतंत्रता आंदोलन में भारत की स्थिति मजबूत हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत पहला देश था जिसने जापान के साथ शांति संधि (1952) पर हस्ताक्षर किए थे।
- आर्थिक साझेदारी: जापान 1958 से भारत के लिए सबसे बड़ा आधिकारिक विकास सहायता (ODA) प्रदाता रहा है। दिल्ली मेट्रो और मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना (बुलेट ट्रेन) जैसे प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट इसी सहयोग का परिणाम हैं।
- रणनीतिक साझेदारी: 2014 में, दोनों देशों ने अपने संबंधों को 'विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी' तक बढ़ाया। 2016 में, दोनों देशों के बीच परमाणु समझौता भी सम्पन्न हुआ।
Key Policy Highlights
- मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक (FOIP) की दृष्टि: जापान की यह पहल भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' और 'इंडो-पैसिफिक महासागर पहल' (IPOI) के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। दोनों देश क्वाड के भी सदस्य हैं।
- रक्षा सहयोग: नियमित रूप से आयोजित होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसे 'मालाबार' (JIMEX) और 'धर्म गार्जियन' दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग और अंतरसंचालनीयता (interoperability) को बढ़ाते हैं। 2020 में एक्विजिशन एंड क्रॉस-सर्विसिंग एग्रीमेंट (ACSA) पर हस्ताक्षर ने आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान को संभव बनाया।
- आर्थिक सहयोग:
- आधिकारिक विकास सहायता (ODA): जापान भारत के बुनियादी ढाँचे और मानव विकास परियोजनाओं को लगातार वित्तपोषित करता रहा है।
- निवेश लक्ष्य: 2022 में दोनों देशों ने जापान से भारत में अगले पाँच वर्षों में 5 ट्रिलियन येन (लगभग 3.3 लाख करोड़ रुपये) के सार्वजनिक और निजी निवेश का लक्ष्य रखा था, जो पहले ही हासिल किया जा चुका है। अब इसे बढ़ाकर 7-10 ट्रिलियन येन करने पर विचार हो रहा है।
संबंधों का विश्लेषण
सकारात्मक प्रभाव (Positive Impacts):
- रक्षा और सुरक्षा में वृद्धि: दोनों देशों का साझा हित एक नियम-आधारित, स्थिर इंडो-पैसिफिक सुनिश्चित करना है, जो चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। क्वाड (Quad) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर उनकी भागीदारी क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करती है।
- आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता: जापान का तकनीकी कौशल और भारत का विशाल बाज़ार और प्रतिभा एक आदर्श साझेदारी का निर्माण करते हैं। बुलेट ट्रेन परियोजना न केवल तकनीकी हस्तांतरण का प्रतीक है, बल्कि भारत में कौशल विकास और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा दे रही है।
- आपूर्ति श्रृंखला की लोचशीलता: कोविड-19 महामारी के बाद, दोनों देशों ने सप्लाई चेन रेजिलिएंस इनिशिएटिव (SCRI) के माध्यम से अपनी आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और विविधतापूर्ण बनाने पर काम किया है।
चुनौतियाँ (Challenges):
- व्यापार असंतुलन: जापान के साथ भारत का व्यापार घाटा बना हुआ है, जिसमें जापान से होने वाला आयात निर्यात से कहीं अधिक है।
- निवेश की गति: हालाँकि जापानी कंपनियों की संख्या बढ़ी है, लेकिन भारत में जापानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की गति को और तेज करने की आवश्यकता है।
UPSC
Prelims Relevance:
- भारत-जापान संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (बौद्ध धर्म, 1952 की शांति संधि)।
- प्रमुख संयुक्त सैन्य अभ्यास: JIMEX, मालाबार, धर्म गार्जियन।
- महत्वपूर्ण समझौते: ACSA, CEPA (Comprehensive Economic Partnership Agreement)।
- प्रमुख परियोजनाएँ: बुलेट ट्रेन, दिल्ली मेट्रो।
Mains Relevance:
- GS Paper II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध: 'पड़ोसी देशों से संबंध', 'प्रमुख देशों के साथ भारत के संबंध' (विशेष रूप से जापान के साथ)।
- GS Paper III: अर्थव्यवस्था: भारत के आर्थिक विकास में विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी का महत्व।
- GS Paper IV: नैतिकता (Ethics): साझा मूल्यों (लोकतंत्र, बहुलवाद) और आपसी सम्मान पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का महत्व।
- Essay Use: 'एशिया का बढ़ता प्रभाव', 'बहुध्रुवीय विश्व में भारत की भूमिका', या 'आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी' जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए यह एक उत्कृष्ट विषय है।
सहयोग का क्षेत्र | प्रमुख पहल/उपलब्धि |
रक्षा | JIMEX, मालाबार, UNICORN प्रोजेक्ट (सह-विकास) |
अर्थव्यवस्था | ODA, मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल, निवेश लक्ष्य |
रणनीति | क्वाड, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, FOIP विजन |
सांस्कृतिक | बौद्ध धर्म, 'काशी तमिल संगमम' की तर्ज पर 'जापान-भारत संगम' |
Practice Questions
Prelims MCQ
निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत और जापान के बीच एक प्रमुख रक्षा अभ्यास नहीं है?
(a) JIMEX
(b) मालाबार
(c) धर्म गार्जियन
(d) वरुण
Mains
1. 'भारत और जापान के लिए लिए समय आ गया है कि एक ऐसे मजबूत समसामयिक संबंध का निर्माण करें, जिसका वैश्विक एवं रणनीतिक साझेदारी को आवेष्टित करते हुए एशिया एवं सम्पूर्ण विश्व के लिए बड़ा महत्व होगा।' टिप्पणी कीजिए । (150 शब्द) (UPSC 2019)
2. "भारत और जापान के बीच की साझेदारी केवल रणनीतिक नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता और तकनीकी उन्नति का एक मॉडल भी है।" इस कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण करते हुए दोनों देशों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डालिए। (250 शब्द)
उत्तर की रूपरेखा:
- भारत-जापान संबंधों के हालिया घटनाक्रम का उल्लेख कर परिचय दीजिए।
- भारत-जापान के बीच रणनीति, आर्थिक और तकनीकी संबंधों की वर्तमान स्थिति को बताइए।
- इन संबंधों की संभावनाओं और चुनौतियों को लिखिए।
- अंत में, सुझाव के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।
निष्कर्ष
भारत और जापान के संबंध न केवल साझा इतिहास और मूल्यों पर आधारित हैं, बल्कि वे भविष्य के लिए एक साझा दृष्टिकोण भी रखते हैं। आर्थिक सुरक्षा से लेकर रक्षा सहयोग तक, दोनों देश एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया जापान यात्रा ने इस साझेदारी को और मजबूत किया है। 'अमृत काल' के भारत के दृष्टिकोण और जापान के तकनीकी उत्कृष्टता के संयोजन से एक ऐसी शक्ति का उदय होगा जो न केवल एशिया, बल्कि पूरे विश्व के लिए शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करेगी।