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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नैतिक दुविधाएँ

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नैतिक दुविधाएँ

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नैतिक दुविधाएँ
20 Sep 2025
Table of Contents

परिचय

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, वह प्रौद्योगिकी है जो कंप्यूटर सिस्टम को ऐसे कार्य करने में सक्षम बनाती है जिनके लिए सामान्य रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है, जैसे सीखना, तर्क करना, समस्या-समाधान और निर्णय लेना। आज स्वास्थ्य, वित्त, कृषि से लेकर शासन तक हर क्षेत्र में AI का प्रभाव बढ़ रहा है। जहाँ एक ओर यह तकनीक मानव जीवन को बेहतर बनाने की अपार क्षमता रखती है, वहीं दूसरी ओर यह कई गंभीर नैतिक, सामाजिक और कानूनी सवाल भी खड़े करती है जिन पर विचार करना अनिवार्य है।

वर्तमान संदर्भ

हाल के वर्षों में, विशेष रूप से जेनरेटिव AI (जैसे ChatGPT, Mid Journey) के उदय के साथ, AI से जुड़ी नैतिक बहस और तेज हो गई है। सितंबर 2025 तक, भारत सहित दुनिया भर के देश AI के नियमन के लिए एक प्रभावी ढांचा बनाने पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। हाल ही में, AI द्वारा उत्पन्न 'नैनो बनाना' (Nano Banana) की तस्वीरों का वायरल होना इस बात का एक ज्वलंत उदाहरण है कि कैसे AI का उपयोग मनोरंजक, भ्रामक या पूरी तरह से काल्पनिक सामग्री बनाने के लिए किया जा सकता है, जो वास्तविकता और कल्पना के बीच की रेखा को धुंधला कर देती है। यह घटना, डीपफेक (Deepfake) तकनीक और एल्गोरिद्मिक पूर्वाग्रह (Algorithmic Bias) के साथ मिलकर AI के नैतिक विनियमन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। 

प्रमुख नैतिक मुद्दे और दुविधाएँ:

  • पूर्वाग्रह और निष्पक्षता (Bias and Fairness): AI सिस्टम उस डेटा से सीखते हैं जिस पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। यदि यह डेटा मौजूदा सामाजिक पूर्वाग्रहों को दर्शाता है, तो AI मॉडल न केवल इन पूर्वाग्रहों को सीखेगा, बल्कि उन्हें और बढ़ा भी सकता है।
  • निजता का हनन (Violation of Privacy): AI सिस्टम बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा का विश्लेषण करने में सक्षम हैं। यह नागरिकों के निजता के अधिकार (अनुच्छेद 21) के लिए एक गंभीर चुनौती है।
  • जवाबदेही और पारदर्शिता (Accountability and Transparency): कई AI मॉडल "ब्लैक बॉक्स" की तरह काम करते हैं, जिससे यह समझना मुश्किल हो जाता है कि उन्होंने कोई निर्णय क्यों लिया। ऐसे में, गलती होने पर जिम्मेदारी तय करना एक बड़ी चुनौती है।
  • रोज़गार विस्थापन (Job Displacement): ऑटोमेशन और AI से कई पारंपरिक नौकरियों के खत्म होने का खतरा है, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ सकती है।
  • सुरक्षा और दुरुपयोग (Security and Misuse): AI का उपयोग दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है, जैसे कि स्वचालित हथियार, साइबर हमले, और डीपफेक। इसका एक हालिया उदाहरण 'नैनो बनाना' जैसी AI-जनित छवियों का प्रसार है। यद्यपि यह एक हानिरहित ट्रेंड लग सकता है, लेकिन यह दर्शाता है कि इसी तकनीक का उपयोग अधिक खतरनाक डीपफेक और परिष्कृत गलत सूचना अभियान बनाने के लिए किया जा सकता है जो सामाजिक सद्भाव और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को खतरे में डाल सकते हैं।

Key Policy Highlights

भारत और दुनिया भर में AI के नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियां और दिशानिर्देश प्रस्तावित किए गए हैं:

  • NITI आयोग की 'AI for All' रणनीति: यह भारत में AI के समावेशी और सतत विकास पर जोर देती है, जिसमें नैतिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही को प्रमुख स्तंभ माना गया है।
  • TRAI की सिफारिशें: TRAI ने भारत में एक स्वतंत्र सांविधिक प्राधिकरण, 'भारतीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्राधिकरण (AIAI)', की स्थापना का सुझाव दिया है।
  • यूनेस्को की सिफारिश (UNESCO's Recommendation on the Ethics of AI): यह AI के नैतिक विकास और उपयोग के लिए एक वैश्विक मानक ढाँचा प्रदान करता है।
  • यूरोपीय संघ का AI Act: यह AI अनुप्रयोगों को उनके जोखिम स्तर के आधार पर वर्गीकृत और नियंत्रित करता है।

Policy Tools

AI के नैतिक शासन के लिए विभिन्न नीतिगत उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है:

नीतिगत उपकरण (Policy Tools)

विवरण (Description)

नियामक उपाय (Regulatory Measures)

- AI के उपयोग के लिए एक स्पष्ट कानूनी और नियामक ढाँचा तैयार करना। 

- उच्च-जोखिम वाले AI सिस्टम के लिए अनिवार्य ऑडिट। 

- डेटा संरक्षण कानूनों को सख्ती से लागू करना।

प्रोत्साहन उपाय (Promotional Measures)

- 'जवाबदेह AI' (Responsible AI) और 'व्याख्या योग्य AI' (Explainable AI - XAI) में अनुसंधान को बढ़ावा देना। 

- AI अनुप्रयोगों के परीक्षण के लिए 'नियामक सैंडबॉक्स' (Regulatory Sandboxes) बनाना। 

- अपस्किलिंग और रीस्किलिंग कार्यक्रमों में निवेश करना।

सकारात्मक प्रभाव और अवसर (Positive Impacts and Opportunities):

  • आर्थिक विकास: AI भारत की GDP को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है।
  • शासन में सुधार: AI सरकारी योजनाओं के लक्षित वितरण और सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
  • सामाजिक क्षेत्र: स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शिक्षा में AI की बड़ी भूमिका हो सकती है, जो SDGs के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है।

नकारात्मक प्रभाव और चुनौतियाँ (Negative Impacts and Challenges):

  • बढ़ती असमानता: AI का लाभ कुछ विशेष क्षेत्रों तक सीमित रह सकता है, जिससे 'डिजिटल डिवाइड' और गहरा हो सकता है।
  • लोकतंत्र को खतरा: डीपफेक और AI-जनित भ्रामक छवियाँ (जैसे 'नैनो बनाना' ट्रेंड का दुरुपयोग) चुनावों और सार्वजनिक विमर्श को प्रभावित कर सकती हैं।
  • डेटा संप्रभुता: वैश्विक AI कंपनियों द्वारा भारतीय नागरिकों के डेटा का उपयोग डेटा संप्रभुता से संबंधित चिंताएँ पैदा करता है।

UPSC Lens

  • Prelims Relevance: AI, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग की मूल अवधारणाएँ; जेनरेटिव AI; NITI आयोग की 'AI for All' रणनीति; TRAI की सिफारिशें।
  • Mains Relevance:
    • GS Paper 2 (Polity & Governance): शासन में AI का उपयोग, निजता का अधिकार, नियामक ढाँचे।
    • GS Paper 3 (Science & Tech; Economy): AI के अनुप्रयोग, इसके आर्थिक प्रभाव, रोज़गार, सुरक्षा चिंताएँ, AI-जनित गलत सूचना।
    • GS Paper 4 (Ethics): प्रौद्योगिकी और नैतिकता, AI से उत्पन्न नैतिक दुविधाओं पर केस स्टडी।
  • Essay Use: "विज्ञान एक अच्छा सेवक है लेकिन एक बुरा स्वामी", "प्रौद्योगिकी और मानवता का भविष्य", "सत्य और मिथ्या के युग में AI"।

Quick Facts

नैतिक मुद्दा (Ethical Issue)

उदाहरण (Example)

संभावित समाधान (Potential Solution)

पूर्वाग्रह (Bias)

AI भर्ती उपकरण का पुरुषों को प्राथमिकता देना।

विविध और निष्पक्ष प्रशिक्षण डेटा, एल्गोरिदम का नियमित ऑडिट।

निजता (Privacy)

सार्वजनिक स्थानों पर फेशियल रिकग्निशन।

मजबूत डेटा संरक्षण कानून, नागरिकों की स्पष्ट सहमति।

जवाबदेही (Accountability)

सेल्फ-ड्राइविंग कार से दुर्घटना।

स्पष्ट कानूनी দায়বদ্ধता ढाँचा, 'Explainable AI' का विकास।

दुरुपयोग/गलत सूचना (Misuse/Disinformation)

डीपफेक या 'नैनो बनाना' जैसी भ्रामक छवियाँ।

तकनीकी समाधान (वॉटरमार्किंग), मीडिया साक्षरता, और सख्त कानून।

Practice Questions

1. Prelims MCQ:

अक्सर सुर्खियों में रहने वाले 'जेनरेटिव AI' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह मौजूदा डेटा से सीखकर नया और मौलिक कंटेंट (जैसे टेक्स्ट, चित्र) बना सकता है।
  2. डीपफेक और 'नैनो बनाना' जैसी छवियाँ इसके अनुप्रयोग के उदाहरण हैं।
  3. भारत में इसके नियमन के लिए कोई भी कानूनी ढाँचा मौजूद नहीं है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 2 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) (व्याख्या: कथन 3 गलत है क्योंकि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 जैसे कानून अप्रत्यक्ष रूप से इसे नियंत्रित करते हैं और एक विशिष्ट ढाँचे पर विचार चल रहा है।)

2. Mains Question:

"कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जहाँ भारत के लिए अभूतपूर्व सामाजिक-आर्थिक अवसर प्रस्तुत करती है, वहीं यह गलत सूचना और डीपफेक जैसी गंभीर नैतिक चुनौतियाँ भी खड़ी करती है। इन चुनौतियों का समालोचनात्मक विश्लेषण करें और भारत के संदर्भ में एक 'नैतिक AI' ढाँचा स्थापित करने के लिए उपाय सुझाएँ।" (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर की रूपरेखा:

  • AI की वर्तमान स्थिति को बताकर उत्तर की शुरुआत कीजिए (आँकड़ों का संदर्भ)। 
  • भारत के लिए AI की संभावनाओं को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। 
  • AI की चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए। 
  • संक्षेप में वैश्विक स्तर पर AI के विनियमन के प्रयासों को लिखिए। 
  • अंत में, भारत के लिए सुझाव देकर उत्तर समाप्त कीजिए।

Conclusion

निष्कर्षतः, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक दोधारी तलवार की तरह है। हमारा लक्ष्य AI के विकास को रोकना नहीं, बल्कि इसे एक जिम्मेदार और मानव-केंद्रित दिशा देना होना चाहिए। इसके लिए सरकार, उद्योग, शिक्षाविदों और नागरिक समाज के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि AI का भविष्य समावेशी, टिकाऊ और नैतिक मूल्यों पर आधारित हो।

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VisionIAS संपादकीय टीम द्वारा

UPSC में 10 वर्षों से अधिक की विशेषज्ञता, IAS उम्मीदवारों के लिए व्यावहारिक सामग्री प्रदान करना।

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