×



भारतीय संविधान की प्रस्तावना: 'समाजवादी' और 'पंथनिरपेक्ष'

प्रमुख लेख

भारतीय संविधान की प्रस्तावना: 'समाजवादी' और 'पंथनिरपेक्ष'

भारतीय संविधान की प्रस्तावना: 'समाजवादी' और 'पंथनिरपेक्ष'
31 Jul 2025
Table of Contents

भूमिका / Introduction

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) संविधान की आत्मा और उसके दर्शन का सार है। यह “न्याय (Justice)”, “स्वतंत्रता (Liberty)”, “समता (Equality)”, “बंधुता (Fraternity)”, “पंथनिरपेक्ष (Secularism)” और “समाजवाद (Socialism)” जैसे मूल्यों को प्रदर्शित करता है। वर्तमान संसद सत्र में “समाजवादी” और “पंथनिरपेक्ष” शब्दों को प्रस्तावना से हटाने की प्रस्तावित बहस ने UPSC के लिए संवैधानिक, सामाजिक और राजनीतिक विमर्श में एक नया आयाम जोड़ा है। 

करेंट अफेयर्स से जुड़ा मुद्दा

  • जुलाई 2025 के संसद सत्र में कुछ संगठनों ने प्रस्तावना से "Socialist" और "Secular" शब्द हटाने की मांग उठाई।
  • केंद्रीय कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव या योजना नहीं है।
  • सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नवंबर 2024 में एक फैसला दिया जिसमें कहा गया कि ये दोनों शब्द संविधान के मूलभूत संरचना तत्व (Basic Structure) हैं और बदले नहीं जा सकते।

स्थैतिक विषयसामग्री:

प्रस्तावना का इतिहास:

  • संविधान सभा की प्रथम बैठक में 13 दिसंबर 1946, को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया। इसे ही आगे भारतीय संविधान की प्रस्तावना के रूप में अपनाया गया।
  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को अपनाया, जो 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुई।

प्रस्तावना के प्रमुख तत्व:

  1. संप्रभु (Sovereign): भारत स्वतंत्र है और किसी बाहरी शक्ति के अधीन नहीं है।
  2. समाजवादी (Socialist): समाज में आर्थिक और सामाजिक समानता स्थापित करना। (42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़ा गया)
  3. पंथनिरपेक्ष (Secular): सभी धर्मों को समान सम्मान और राज्य का कोई अपना धर्म नहीं है। (42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़ा गया)
  4. लोकतांत्रिक (Democratic): शासन जनता के हाथ में है और चुनावों के माध्यम से सरकार चुनी जाती है।
  5. गणराज्य (Republic): राष्ट्राध्यक्ष (राष्ट्रपति) जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है, कोई वंशानुगत शासक नहीं है।

प्रस्तावना के उद्देश्य:

  • न्याय (Justice): सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय।
  • स्वतंत्रता (Liberty): विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास और धर्म की स्वतंत्रता।
  • समानता (Equality): प्रतिष्ठा और अवसर की समानता।
  • बंधुत्व (Fraternity): राष्ट्रीय एकता और व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करना।

प्रस्तावना का महत्व:

  • यह भारतीय लोकतंत्र (Democracy) की संकल्पना, अधिकारों और दायित्वों की मौलिक रूपरेखा प्रदान करती है।
  • यह न्यायालयों द्वारा व्याख्या योग्य है, लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है।
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों (जैसे Kesavananda Bharati (1973), S.R. Bommai (1994)) में प्रस्तावना को संविधान की मूल संरचना माना गया।

संविधान संशोधन प्रक्रिया:

  • प्रस्तावना के शब्दों में बदलाव के लिए संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार विशेष बहुमत और यदि आवश्यक हो तो राज्यों की मंजूरी भी जरूरी होती है।
  • अभी तक केवल एक बार संशोधन किया गया है।

VisionIAS फाउंडेशन कोर्स 2026

UPSC के लिए परीक्षा केंद्रित मुख्य बिंदु (Key UPSC Points)

  • प्रस्तावना में “Socialist” और “Secular” शब्द 42वें संविधान संशोधन (1976) में शामिल किए गए।
  • किसी भी शब्द को हटाने या संशोधित करने के लिए संविधान संशोधन अनिवार्य है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने इन शब्दों को संविधान की मूल संरचना में रखा है (Basic Structure Doctrine)।
  • संसद में वर्तमान में इन शब्दों को हटाने की कोई आधिकारिक योजना नहीं है।
  • करंट बहस संसद-राजनीतिक विमर्श की महत्वपूर्ण झलक UPSC Mains/Essay में काम आ सकती है।

प्रश्न अभ्यास (Practice Questions)

प्रारम्भिक परीक्षा अभ्यास प्रश्न:

भारत की संविधान प्रस्तावना (Preamble) में पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘समाजवादी’ (Socialist) शब्द कब जोड़े गए थे?

A) 1950B) 1962C) 1976D) 1973

उत्तर: C) 1976

UPSC Prelims PYQs:

Q. निम्नलिखित उद्देश्यों में से कौन-सा एक भारत के संविधान की उद्देशिका में सन्निहित नहीं है? (2017)

(a) विचार की स्वतंत्रता

(b) आर्थिक स्वतंत्रता

(c) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

(d) विश्वास की स्वतंत्रता

उत्तरः B

Q. भारत के संविधान की उद्देशिका - (2020)

(a) संविधान का भाग है किंतु कोई विधिक प्रभाव नहीं रखती

(b) संविधान का भाग नहीं है और कोई विधिक प्रभाव भी नहीं रखती

(c) संविधान का भाग है और वैसा ही विधिक प्रभाव रखती है जैसा कि उसका कोई अन्य भाग

(d) संविधान का भाग है किंतु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है

उत्तरः D

विगत वर्षों के प्रश्नों का विश्लेषण देखिए

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न:

Q. “भारतीय संविधान की प्रस्तावना में शामिल ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों की संविधानिक महत्ता तथा हाल की बहसों का विश्लेषण करें। संबंधित संसद और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका स्पष्ट करें।”  

उत्तर की रूपरेखा:

  • प्रस्तावना का परिचय देकर उत्तर प्रारंभ कीजिए। 
  • प्रस्तावना में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्दों को शामिल करने के उद्देश्यों को संक्षेप में बताइए। 
  • हाल में इन्हें हटाने के पीछे के कारणों को स्पष्ट कीजिए। 
  • प्रस्तावना में संशोधन के संदर्भ में संसद की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  • 42 वें संविधान संशोधन के बाद के सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग निर्णयों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के मत को स्पष्ट कीजिए। 
  • एक संतुलित निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।

UPSC PYQs (2016):

Q. 'उद्देशिका (प्रस्तावना)' में शब्द 'गणराज्य' के साथ जुड़े प्रत्येक विशेषण पर चर्चा कीजिए । क्या वर्तमान परिस्थितियों में वे प्रतिरक्षणीय हैं?

Discuss each adjective attached to the word 'Republic' in the 'Preamble'. Are they defendable in the present circumstances?

मुख्य परीक्षा के प्रश्नों का विश्लेषण देखिए

निष्कर्ष / Conclusion

संविधान की प्रस्तावना न केवल भारत के लोकतंत्र के मूल्यों का प्रतिबिंब है, बल्कि वह भारतीय समाज के समरसता और न्याय के प्रति संकल्प को व्यक्त करती है। “Socialist” और “Secular” शब्दों को हटाने की बहस लोकतांत्रिक विमर्श का हिस्सा हो सकती है परन्तु फिलहाल संविधानिक रूप से ये शब्द परिवर्तन के दायरे से बाहर हैं। UPSC अभ्यर्थी को इस बहस के सामाजिक, संवैधानिक और कानूनी पक्षों को समझ कर परीक्षा में सारगर्भित उत्तर देने चाहिए।

VisionIAS डिजिटल करेंट अफेयर्स

डेली न्यूज वीडियो

Vision IAS Logo

VisionIAS संपादकीय टीम द्वारा

UPSC में 10 वर्षों से अधिक की विशेषज्ञता, IAS उम्मीदवारों के लिए व्यावहारिक सामग्री प्रदान करना।

संबंधित लेख

Vision IAS Best IAS Institute in India
https://cdn.visionias.in/new-system-assets/images/home_page/home/counselling-oval-image.svg

Have Questions About UPSC CSE or VisionIAS Programs?

Our Expert Counselors are Here to Discuss Your Queries and Concerns in a Personalized Manner to Help You Achieve Your Academic Goals.

नवीनतम लेख