संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा भारत की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं जैसे कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) आदि के चयन की पहली और अत्यंत महत्वपूर्ण सीढ़ी है। पेपर 1, जिसे सामान्य अध्ययन (GS) के नाम से जाना जाता है, का उद्देश्य अभ्यर्थियों की इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा करेंट अफेयर्स जैसी विविध विषयों पर समझ का मूल्यांकन करना होता है। यह एक स्क्रीनिंग परीक्षा होती है — केवल वे उम्मीदवार जो GS पेपर 1 में निर्धारित कट-ऑफ अंक प्राप्त करते हैं और CSAT में योग्य (33% अंक) घोषित होते हैं, वे ही मुख्य परीक्षा (Mains) के लिए चयनित होते हैं।
यह विश्लेषण GS पेपर 1 के रुझानों (Trends), कठिनाई स्तर और प्रमुख निष्कर्षों को समझने का प्रयास है। इसमें प्रत्येक विषय से पूछे गए प्रश्नों की संख्या, उनकी कठिनता का मूल्यांकन, और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों से तुलना शामिल है, ताकि परीक्षा के बदलते स्वरूप की स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत की जा सके।
ऐसा विश्लेषण न केवल वर्तमान अभ्यर्थियों को अपनी प्रदर्शन का मूल्यांकन करने और संभावित परिणामों का अनुमान लगाने में सहायता करता है, बल्कि भविष्य के अभ्यर्थियों को भी महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि (Insight) प्रदान करता है, जिससे वे अपनी तैयारी को वास्तविक परीक्षा की अपेक्षाओं के अनुरूप ढाल सकें।

पेपर का अवलोकन
- कुल प्रश्नों की संख्या: 100
- अंक: 200
- नेगेटिव मार्किंग: 1/3 (एक तिहाई)
- समय: 2 घंटे
विषय-वार प्रश्नों का विभाजन

कठिनाई के स्तर का विश्लेषण (विषय-वार) (to be updated)


विगत वर्षों के साथ तुलना
2024: सामान्य अवलोकनपिछले वर्षों के UPSC के सामान्य अध्ययन पेपर की तुलना में इस वर्ष के पेपर ने एक समग्र और संतुलित तैयारी की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
- कई पारंपरिक और स्टेटिक विषयों को उचित महत्व दिया गया है।
- पेपर का फोकस अधिकांश विषयों में मूल अवधारणाओं से जुड़े बुनियादी तथ्यों पर उम्मीदवारों की जाँच करना था, जिससे पेपर अधिक सुलभ बना। इस प्रकार, समग्र कठिनाई स्तर मध्यम था।
- एक अच्छी खबर यह रही कि "एलिमिनेशन स्किल" (Elimination Skills) पेपर में फिर से प्रभावी रही।
- करेंट अफेयर्स और संबंधित मुद्दे अभी भी कई स्टेटिक प्रश्नों के पीछे प्रेरणा के रूप में महत्वपूर्ण हैं।
- विषयवार महत्व के संदर्भ में, भूगोल का प्रदर्शन बेहतरीन रहा! केवल भूगोल से ही लगभग 20 प्रश्न पूछे गए, और पर्यावरण व पारिस्थितिकी को मिलाकर इसने इस वर्ष के पेपर पर प्रभुत्व जमाया।
- राजव्यवस्था एवं शासन पारंपरिक और अपेक्षाकृत आसान रहा।
- इतिहास खंड में, आधुनिक इतिहास का महत्व घट रहा है, लेकिन पूछे गए प्रश्न करने योग्य और पारंपरिक थे। कला एवं संस्कृति के प्रश्न करेंट अफेयर्स से प्रेरित थे। जहाँ तक प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास की बात है, पिछले वर्ष की तुलना में कम प्रश्न पूछे गए।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रश्न नवीनतम तकनीक के उपयोग पर केंद्रित थे और उनके टॉपिक कम जटिल थे।
- 2024 में, रक्षा और सुरक्षा से संबंधित प्रश्न भी लंबे समय बाद देखे गए।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रश्न अपेक्षित स्तर के थे।
- अर्थव्यवस्था के प्रश्न संकल्पनात्मक और करेंट अफेयर्स आधारित दोनों थे।
Previous Year Paper Analysis
2025: सामान्य अवलोकन
- इस वर्ष का पेपर मध्यम रूप से कठिन प्रतीत हुआ। लगभग सभी विषयों में प्रश्न सरल, मध्यम और कठिन स्तर के थे। पेपर के अधिकांश खंडों में मौजूदा मामलों को केंद्र में रखते हुए मूल, बुनियादी और आधारभूत विषयों को शामिल किया गया था। इससे पेपर अधिक प्रासंगिक बना और मौजूदा मामलों का प्रभुत्व रहा।
- प्रश्नों के विकल्पों का प्रारूप भी परिवर्तित था, जहाँ संख्याओं के बजाय रोमन शैली का उपयोग किया गया था, जैसे (d) I, II और III। इस वर्ष कथन-कारण (Assertion-Reason) प्रकार के प्रश्नों में वृद्धि देखी गई, जिनमें से कुछ तीन कथनों के साथ प्रस्तुत किए गए थे। ये प्रश्न आमतौर पर एक दावे और उसके बाद दो कारणों से बने होते हैं।
- कई प्रश्नों को एक ही विषय पर आधारित होते हुए भी छात्रों से कई तथ्यों की गहन जानकारी की माँग की गई।
- स्टैटिक भागों जैसे भूगोल, पर्यावरण, अर्थशास्त्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राजव्यवस्था और प्राचीन एवं आधुनिक इतिहास आदि को उचित महत्व दिया गया। वहीं, कला एवं संस्कृति और मध्यकालीन इतिहास जैसे खंडों में गिरावट देखी गई।
- इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR) खंड ने समाचार पत्रों और मौजूदा मामलों की पत्रिकाओं के साथ निरंतर जुड़े रहने के साथ-साथ नियमित मानचित्र अभ्यास के महत्व को रेखांकित किया। IR के प्रश्न अपेक्षित रूप से थे, जिनमें क्षेत्रीय समूहों (जैसे BIMSTEC, BRICS), सदस्यता (जैसे NATO), और UN-घोषित वर्षों पर गतिशील मिश्रण पर जोर दिया गया था।
- पॉलिटी खंड में, UPSC ने गहन मूल प्रश्न पूछे, जिनमें उम्मीदवारों से दल-बदल विरोधी, क्षमादान शक्तियाँ, अध्यादेश जैसे विषयों पर मौलिक और सटीक समझ की आवश्यकता थी। पिछले वर्ष के विपरीत, राजनीतिक दर्शन, प्रस्तावना आदि पर कोई सीधा प्रश्न नहीं पूछा गया।
- गवर्नेंस खंड में, प्रश्न विशिष्ट मंत्रालयों और संगठनों पर केंद्रित थे, जिनमें उम्मीदवारों की उनके कार्यों और भूमिकाओं की समझ का आकलन किया गया। उदाहरण के लिए, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) को उजागर किया गया, जिनमें आर्थिक कानूनों को लागू करने और वित्तीय अपराधों से निपटने में उनके अधिदेश पर जोर दिया गया। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्वचालन बोर्ड जैसे बोर्डों पर प्रश्न पूछे गए, जिनमें नियामक निकायों और उनके संबंधित क्षेत्रों पर प्रभाव की जानकारी परखी गई।
- इतिहास खंड में, प्राचीन और आधुनिक इतिहास से अधिक प्रश्न पूछे गए, जबकि कला एवं संस्कृति और मध्यकालीन इतिहास को कम महत्व दिया गया, जो एक पैटर्न परिवर्तन का संकेत देता है। हालाँकि, इन खंडों में पूछे गए विषयों में मानक स्रोतों का उपयोग करते हुए मूल स्टैटिक थीम्स पर प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति देखी गई और कुछ प्रश्न मौजूदा मामलों से जुड़े थे, जैसे राजेंद्र-I - श्रीविजय आक्रमण (पोर्ट ब्लेयर के श्री विजय पुरम नामकरण से प्रेरित), गांधी शांति पुरस्कार आदि।
- भूगोल और पर्यावरण परीक्षा के महत्वपूर्ण खंड बने हुए हैं। भूगोल के प्रश्न NCERT की आधारभूत विषयों जैसे समताप रेखाएँ और अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा से लेकर अधिक पेचीदा विषयों जैसे अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) और समय क्षेत्रों तक फैले थे। वहीं, पर्यावरण खंड में समकालीन मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें डायरेक्ट एयर कैप्चर और कृत्रिम वर्षा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं पर जोर दिया गया। विशेष रूप से, प्रजातियों और व्यवहारिक अध्ययन पर पारंपरिक जोर में कमी देखी गई।
- अर्थशास्त्र से प्रश्नों की संख्या पिछले 10 वर्षों के औसत के करीब थी। विषय वित्तीय नीति (केंद्रीय बजट) से लेकर कृषि तक फैले थे। डिजिटल भुगतान प्रणालियों से भी दो प्रश्न पूछे गए। आश्चर्यजनक रूप से, राष्ट्रीय आय लेखांकन से कोई सीधा प्रश्न नहीं पूछा गया और सरकारी राजस्व और व्यय से जुड़े दो समान प्रश्न (मूल अंकगणितीय गणना के साथ) शामिल थे। वित्तीय बाजार को भी पर्याप्त स्थान मिला, क्योंकि इस वर्ष CSE में AIF और शेयर बाजार पर प्रश्न पूछे गए।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और बुनियादी विज्ञान के संदर्भ में, प्रश्नों की संख्या उचित थी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में, सभी महत्वपूर्ण विषयों जैसे अंतरिक्ष क्षेत्र, रक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और अत्याधुनिक तकनीकों से प्रश्न पूछे गए। दो बुनियादी विज्ञान प्रश्नों को छोड़कर, सभी प्रश्न मौजूदा मामलों पर आधारित थे। आश्चर्यजनक रूप से, इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित दो प्रश्न पूछे गए। प्रश्नों का कठिनाई स्तर मध्यम से कठिन था।

सीख और आगे की तैयारी के लिए सुझाव
- पिछले कुछ वर्षों के विश्लेषण से एक स्पष्ट निष्कर्ष यह निकलता है कि प्रारंभिक परीक्षा में सफलता के लिए मूलभूत बातों की मजबूत समझ और एक ठोस आधार अनिवार्य है। UPSC लगातार विषयों में संकल्पनात्मक स्पष्टता की जाँच करता है, न कि केवल रटे हुए तथ्यों की।
- इसके अलावा, ट्रेंड यह दिखाता है कि किसी भी स्टेटिक विषय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता — राजव्यवस्था, इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और कला एवं संस्कृति पर समान ध्यान देने से आप अधिक प्रश्नों को आत्मविश्वास से हल कर पाएँगे। चुनिंदा तैयारी अब काम नहीं करती; व्यापक कवरेज ही असली रणनीति है।
- पिछले कुछ वर्षों का विश्लेषण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि "प्रैक्टिस प्रीलिम्स परीक्षा पास करने की कुंजी है।" उच्च-गुणवत्ता वाले मॉक टेस्ट के माध्यम से नियमित अभ्यास, गति, सटीकता (Accuracy) और एलिमिनेशन स्किल विकसित करने के लिए आवश्यक है।
- साथ ही, नियमित रिवीजन एक गेम-चेंजर साबित हुआ है, क्योंकि यह याददाश्त को बढ़ाता है और दबाव में निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करता है — जो UPSC के अप्रत्याशित पैटर्न में अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्विक रिवीजन मटेरियल, संक्षिप्त नोट्स और स्मार्ट रिवीजन टूल्स उन अभ्यर्थियों के लिए विश्वसनीय साथी बन गए हैं, जो प्रभावी और कुशल अंतिम-समय की तैयारी करना चाहते हैं।
देखिए UPSC Prelims 2025 GS Paper पर चर्चा एवं विश्लेषण
भावी अभ्यर्थियों के लिए मुख्य सीख
- करेंट अफेयर्स से जोड़कर स्टेटिक विषयों की तैयारी का महत्व: हाल के वर्षों में, UPSC ने ऐसे प्रश्न पूछे हैं जहां करेंट अफेयर्स, पाठ्यक्रम के स्टेटिक हिस्सों से सीधे जुड़े होते हैं। इसलिए, अभ्यर्थियों को अखबार पढ़ने के साथ-साथ मानक पुस्तकों, क्लास नोट्स की पढ़ाई को जोड़ना चाहिए — राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, भूगोल, पर्यावरण आदि के स्टेटिक सिद्धांतों को वर्तमान घटनाओं से जोड़कर समझना चाहिए। इससे न केवल याददाश्त मजबूत होती है, बल्कि समझ को प्रश्नों में लागू करने की क्षमता भी बढ़ती है।
- पर्यावरण और CSAT को नजरअंदाज न करें: पर्यावरण से हाल के प्रारंभिक परीक्षाओं में लगातार 15-20 प्रश्न पूछे जा रहे हैं, जिनमें से कई तथ्यात्मक विवरणों (जैसे संरक्षित क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय समझौते आदि) और वर्तमान संरक्षण पहलों पर आधारित होते हैं। अगर इसका अच्छी तरह से रिवीजन किया जाए तो यह एक अंकदायी विषय है। इसी तरह, CSAT - हालांकि यह Qualifying है, लेकिन इसे कम नहीं आंकना चाहिए। 2023 और 2024 में कई अभ्यर्थी CSAT में बढ़ती कठिनाई के कारण फेल हुए। नियमित रूप से कॉम्प्रिहेंशन, बेसिक गणित और लॉजिकल रीजनिंग का अभ्यास करना सुरक्षित रहने के लिए जरूरी है।
- संकल्पनात्मक स्पष्टता और अंतर-विषयक संबंधों पर ध्यान दें: UPSC के प्रश्न अक्सर रटने की बजाय समझ की परीक्षा लेते हैं। मुद्रास्फीति, संघवाद, मानसून या जैव विविधता जैसी अवधारणाओं को समग्र रूप से समझना आवश्यक है। NCERT और मानक स्रोतों से मूलभूत सिद्धांतों की स्पष्टता विकसित करने से पेचीदा या अप्रत्यक्ष प्रश्नों को हल करने में मदद मिलती है।
- एलिमिनेशन-आधारित MCQ रणनीति के लिए तैयार रहें: UPSC के विकल्प अब और अधिक जटिल हो गए हैं, जैसे — "केवल एक सही है" या ऐसे विकल्प जिनमें तथ्यात्मक ट्रैप होते हैं। इसलिए, एलिमिनेशन तकनीक का अभ्यास करना महत्वपूर्ण है। इसमें कीवर्ड्स की पहचान करना, विरोधाभासों को देखना, सामान्य ज्ञान का उपयोग करना और अनिश्चित होने पर भी संभावित उत्तरों तक सीमित होना शामिल है। पिछले वर्षों के प्रश्नों और मॉक टेस्ट का विश्लेषण करके हल करने से यह कौशल निखरता है, जो अक्सर प्रीलिम्स पास करने का निर्णायक कारक बन जाता है।

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निष्कर्ष
हाल के वर्षों में, UPSC GS पेपर 1 सहित, एक स्पष्ट प्रवृत्ति उभरकर सामने आई है - विश्लेषणात्मक सोच की ओर झुकाव के साथ संतुलित पेपर। इसने उन अभ्यर्थियों को स्पष्ट रूप से पुरस्कृत किया है जिन्होंने केवल एक विषय या सीमित टॉपिक्स पर निर्भर रहने के बजाय स्टेटिक विषयों और करेंट अफेयर्स दोनों पर नियमित पकड़ बनाए रखी। यह UPSC के दृष्टिकोण में हो रहे बदलाव को और पुष्ट करता है – सिर्फ याद करने से हटकर अवधारणात्मक स्पष्टता और चिंतन-आधारित मूल्यांकन की ओर। अंतर्संबंध (Interlinkages) स्थापित करने की क्षमता, तर्क को लागू करना और दबाव में संयम बनाए रखना अब वैकल्पिक नहीं बल्कि अनिवार्य हो गया है। जैसा कि पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है, इस गतिशील प्रवृत्ति के अनुरूप स्वयं को ढालना ही प्रारंभिक परीक्षा में सफलता का एकमात्र मार्ग है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र. GS पेपर 1 में करंट अफेयर्स से कितने प्रश्न पूछे गए?
उ. इस वर्ष करेंट अफेयर्स से 22 प्रश्न पूछे गए।
प्र. क्या पेपर 1, 2024 की तुलना में अधिक कठिन था?
उ. इस वर्ष भी पेपर Moderate से Difficult स्तर का रहा।
प्र. किस विषय से सबसे अधिक प्रश्न पूछे गए?
उ. इस वर्ष इतिहास खंड में आधुनिक भारत के प्रश्नों में यकायक वृद्धि हुई है।
प्र. क्या GS पेपर की कठिनाई से Cut-Off प्रभावित होगी?
उ. कठिनाई का स्तर लगभग समान रहने के कारण Cut-Off लगभग समान रह सकती है।