UPSC सिविल सेवा मुख्य परीक्षा की रणनीति बनाते समय अधिकांश अभ्यर्थियों का ध्यान सामान्य अध्ययन, वैकल्पिक विषयों और निबंध लेखन पर केंद्रित होता है। लेकिन, इन महत्वपूर्ण पेपर्स के अंकों का मूल्यांकन होने से पहले ही एक छिपा हुआ फिल्टर काम करता है — अनिवार्य भाषा प्रश्न पत्र। इनमें शामिल हैं:
- पेपर A: आठवीं अनुसूची में शामिल कोई एक भारतीय भाषा
- पेपर B: अंग्रेजी भाषा
हालाँकि ये दोनों पेपर्स केवल क्वालिफाइंग होते हैं, फिर भी ये एक गेटकीपर की भूमिका निभाते हैं — अगर आप इन पेपर्स में पास होते हैं, तभी आपके सामान्य अध्ययन, निबंध और वैकल्पिक विषयों के पेपर्स का मूल्यांकन होगा। इनमें से किसी में भी फेल होने पर आपकी पूरी मुख्य परीक्षा का प्रयास व्यर्थ हो जाएगा।
इस ब्लॉग का उद्देश्य इन पेपर्स के छिपे हुए महत्व, उनकी संरचना, पिछले वर्षों के विश्लेषण और अभ्यर्थियों को आत्मविश्वास के साथ इन्हें कैसे पास कर सकते हैं, इस पर प्रकाश डालना है।
भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी पर अनिवार्य प्रश्न पत्र
इस प्रश्न पत्र का उद्देश्य अंग्रेजी तथा संबंधित भारतीय भाषा में अपने विचारों को स्पष्ट तथा सही रूप में प्रकट करना तथा गंभीर तर्कपूर्ण गद्य को पढ़ने और समझने में उम्मीदवार की योग्यता की परीक्षा करना है।
पेपर A – भारतीय भाषा (300 अंक)
- उम्मीदवार को संविधान की आठवीं अनुसूची में से किसी एक भाषा का चयन करना होगा।
- प्रश्नों का प्रारूप मोटे तौर पर निम्नलिखित होगा:
- (i) दिए गए गद्यांशों को समझना
- (ii) संक्षेपण
- (iii) शब्द प्रयोग और शब्द भंडार
- (iv) लघु निबंध
- (v) अंग्रेज़ी से भारतीय भाषा और भारतीय भाषा से अंग्रेज़ी में अनुवाद।
टिप्पणी 1: यह पेपर सिक्किम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर राज्यों के उम्मीदवारों पर लागू नहीं होगा।
टिप्पणी 2: पेपर A (भारतीय भाषा) ऐसे उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य नहीं होगा जो बेंचमार्क दिव्यांगता (केवल श्रवण बाधित उप-श्रेणी) से संबंधित हों, बशर्ते उन्हें संबंधित शिक्षा बोर्ड/विश्वविद्यालय द्वारा द्वितीय या तृतीय भाषा पाठ्यक्रमों से छूट प्रदान की गई हो। ऐसे उम्मीदवारों को आयोग के समक्ष इस छूट का दावा करने के लिए एक स्व-घोषणा/प्रत्ययन पत्र प्रस्तुत करना होगा।
पेपर B - अंग्रेजी (300 अंक)
- सभी उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य।
- प्रश्नों का पैटर्न मोटे तौर पर निम्नलिखित होगा:
- (i) दिए गए गद्यांशों की बोधगम्यता (कॉम्प्रिहेंशन)।
- (ii) संक्षेपण (प्रिसाइज राइटिंग)।
- (iii) शब्द प्रयोग और शब्दावली (यूसेज एंड वोकैब्युलरी)।
- (iv) लघु निबंध (शॉर्ट एस्से)।
योग्यता मानदंड (Qualifying Criteria)
- प्रत्येक पेपर में उत्तीर्ण होने के लिए 300 में से न्यूनतम 75 अंक (25%) आवश्यक हैं।
- ये अंक रैंकिंग के लिए नहीं गिने जाते, लेकिन मेरिट पेपरों के मूल्यांकन के लिए एक पूर्वापेक्षा (प्रीरिक्विज़िट) के रूप में कार्य करते हैं। अर्थात अगर इन प्रश्न पत्रों में 75 अंक नहीं आते तो मुख्य परीक्षा की अन्य उत्तर-पुस्तिकाओं की जांच नहीं की जाएगी।
पेपर A और पेपर B का पाठ्यक्रम
दोनों पेपरों की पाठ्यक्रम संरचना लगभग समान है:
- निबंध लेखन (100 अंक)• दिए गए टॉपिक्स में से किसी एक पर निबंध लेखन (600 शब्दों में)• निबंध सुसंगठित, सुसंबद्ध और व्याकरणिक दृष्टि से सही होना चाहिए।
- रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन एवं संक्षेपण (प्रिसाइज राइटिंग)• गद्यांश पर आधारित प्रश्न: पेपर A – 60 अंक, पेपर B – 75 अंक• दिए गए गद्यांश का लगभग 1/3 शब्दों में संक्षेपण (सारांश): पेपर A – 60 अंक, पेपर B – 75 अंक
- अनुवाद (40 अंक)• पेपर A: चुनी गई भारतीय भाषा से अंग्रेजी में और अंग्रेजी से भारतीय भाषा में अनुवाद
- व्याकरण एवं भाषा प्रयोग• पेपर A ( भारतीय भाषा) – 40 अंक• पेपर B (अंग्रेजी) – 50 अंक
- इसमें रिक्त स्थान भरना, वाक्य संशोधन, पर्यायवाची-विलोम, मुहावरे, Active/Passive, Direct/Indirect Speech आदि शामिल होते हैं।

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ये पेपर आपके विचार से कहीं अधिक महत्वपूर्ण क्यों हैं?
भले ही ये पेपर केवल क्वालिफाइंग हों, लेकिन व्यवहार में ये असफलता का मुख्य कारण बनते हैं। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
- हर साल हजारों अभ्यर्थी इन दोनों पेपरों (खासकर पेपर A) में फेल हो जाते हैं।
- कई उम्मीदवार अन्य प्रश्न-पत्रों की अच्छी तैयारी होने के बावजूद पेपर A या B में फेल होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
- अगर कोई उम्मीदवार पेपर A या B में फेल होता है, तो UPSC द्वारा उनके सामान्य अध्ययन (GS), निबंध या वैकल्पिक विषय के पेपरों की जाँच भी नहीं की जाती है।
- सिर्फ GS और वैकल्पिक विषय में अच्छा होना काफी नहीं है- अंतिम सफलता के लिए भाषा और व्याकरण में भी मजबूत पकड़ होना अनिवार्य है।
पिछले वर्षों के पेपरों का विश्लेषण: क्या संकेत मिलते हैं?
हाल के वर्षों (2018–2024) के पेपरों के आधार पर कुछ प्रमुख ट्रेंड इस प्रकार हैं:
सामान्य पैटर्न
- निबंध के विषय अक्सर सामान्य और सामाजिक समस्याओं पर केंद्रित होते हैं।
- संक्षेपण (प्रिसाइज राइटिंग) के गद्यांश प्रशासनिक या विकास संबंधी मुद्दों पर आधारित होते हैं।
- अनुवाद खंड (Translation Section) चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर यदि चुनी गई भारतीय भाषा मातृभाषा न हो।
- व्याकरण के प्रश्न बुनियादी होते हैं, लेकिन भाषा में स्पष्टता और सटीकता की जाँच करते हैं।
अभ्यर्थियों के अनुभव
- गैर-अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को अक्सर पेपर B (अंग्रेजी) में कठिनाई होती है।
- अंग्रेजी-शिक्षित शहरी छात्र कभी-कभी पेपर A (भारतीय भाषा जैसे हिंदी, तमिल, उर्दू) की तैयारी को नजरअंदाज कर देते हैं।
- खराब हैंडराइटिंग, अनुवाद में अशुद्धियाँ और निबंध लेखन में गहराई की कमी आम गलतियाँ हैं।
मिथकों की सच्चाई: आम गलतफहमियाँ
मिथक 1: "यह सिर्फ क्वालिफाइंग है, इसलिए मुझे तैयारी की ज़रूरत नहीं।"
वास्तविकता: कई उम्मीदवार सिर्फ इसी गलतफहमी के कारण फेल हो जाते हैं।
मिथक 2: "मैं इस भाषा में बोलने में सहज हूँ, इसलिए मैं आसानी से पास हो जाऊँगा।"
वास्तविकता: लेखन कौशल (व्याकरण, संरचना और औपचारिक शैली) ही वास्तव में मायने रखते हैं।
मिथक 3: "यह तो स्कूल-स्तर की परीक्षा जैसा है।"
वास्तविकता: हालाँकि स्तर मध्यम हो सकता है, लेकिन मूल्यांकन गंभीरता से किया जाता है।
प्रभावी तैयारी कैसे करें?
- चुनी हुई भारतीय भाषा और अंग्रेजी में सप्ताह में 1 निबंध अवश्य लिखिए।
- स्पष्टता, भूमिका-मुख्य भाग-निष्कर्ष की संरचना और व्याकरणिक त्रुटियों से बचने पर ध्यान दें।
2. अनुवाद अभ्यास
- अंग्रेजी और चुनी हुई भारतीय भाषा के बीच अनुवाद का अभ्यास करें।
- पुराने प्रश्नपत्रों या सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों (जैसे PIB, आकाशवाणी प्रतिलेख) का उपयोग करें।
3. संक्षेपण (प्रिसाइज राइटिंग)
- बड़े गद्यांशों को उनकी लंबाई के 1/3 भाग में स्पष्टता और तटस्थता के साथ सारांशित करना सीखें।
4. व्याकरण का रिवीजन
- चुनी हुई भारतीय भाषा और अंग्रेजी की स्कूल-स्तरीय व्याकरण पुस्तकों का रिवीजन कीजिए।
- व्याकरण वर्कबुक्स हल कर सकते हैं तथा मुहावरों, सामान्य त्रुटियों को नोट करें।

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अनिवार्य अध्ययन स्रोत (Must-Follow Resources)
- NCERT अंग्रेजी व हिन्दी व्याकरण की पुस्तक (कक्षा 9-10 स्तर की)
- भारत सरकार के द्विभाषी प्रेस विज्ञप्तियाँ (Bilingual Press Releases)
- भाषा-विशेष व्याकरण एवं बोधगम्यता पुस्तकें
UPSC क्वालिफाइंग पेपर्स के बारे में क्या कहता है?
UPSC अधिसूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेख है:
"भारतीय भाषा और अंग्रेजी के पेपर मैट्रिक या समकक्ष स्तर के होंगे और केवल योग्यता-आधारित (क्वालिफाइंग) होंगे। इन पेपरों में प्राप्त अंक रैंकिंग में नहीं जोड़े जाएंगे।"
लेकिन फिर एक महत्वपूर्ण शर्त आती है:
"हालाँकि, केवल उन्हीं उम्मीदवारों के निबंध, सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषयों के पेपरों का मूल्यांकन किया जाएगा, जो आयोग द्वारा निर्धारित इन क्वालिफाइंग पेपरों में न्यूनतम योग्यता मानकों को पूरा करते हैं।"
सीधे शब्दों में कहें तो - या तो योग्यता प्राप्त करें या अयोग्य घोषित हों, बीच का कोई रास्ता नहीं है।
निष्कर्ष:
UPSC मुख्य परीक्षा भारत की सबसे प्रतिस्पर्धी और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। अभ्यर्थी सालों तक सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषय की तैयारी करते हैं, लेकिन एक नजरअंदाज किया हुआ भाषा पेपर दौड़ शुरू होने से पहले ही आपके लिए दरवाजे बंद कर सकता है।
इन क्वालिफाइंग पेपरों को गंभीरता से लें। इनकी उतने ही अनुशासन के साथ तैयारी करें, जिससे आप इन्हें आसानी से क्वालीफाई कर पाएं। नियमित अभ्यास करें, अपने व्याकरण और लेखन कौशल को बेहतर बनाएं, और इन्हें सहजता से पास करें - ताकि आपकी सामान्य अध्ययन और निबंध पेपरों पर की गई मेहनत का मूल्यांकन हो सके।
याद रखें: "यह सिर्फ सामान्य अध्ययन पास करने के बारे में नहीं है - बल्कि इस बारे में है कि आपके सामान्य अध्ययन पेपरों की जांच के योग्य बनें।"